20 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहा कि अब न्यायिक सेवा में प्रवेश के लिए उम्मीदवारों को कम से कम तीन वर्षों का वकालत अनुभव होना अनिवार्य होगा। इस फैसले के अनुसार, अब नए लॉ ग्रेजुएट्स सीधे न्यायिक सेवा परीक्षा में शामिल नहीं हो सकेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय All India Judges Association केस के तहत लिया, जिसमें यह पाया गया कि पिछले 20 वर्षों में बिना किसी बार अनुभव के नए लॉ ग्रेजुएट्स की न्यायिक अधिकारियों के रूप में भर्ती सफल नहीं रही और इससे कई समस्याएं उत्पन्न हुईं।
कोर्ट ने कहा कि एक न्यायिक अधिकारी पहले ही दिन से लोगों के जीवन, स्वतंत्रता, संपत्ति और प्रतिष्ठा से जुड़े मामलों को संभालता है। ऐसे में केवल किताबी ज्ञान या प्रशिक्षण पर्याप्त नहीं है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि जजों के साथ लॉ क्लर्क के रूप में किया गया अनुभव भी इस 3 साल की प्रैक्टिस की शर्त में गिना जाएगा।
यह नया नियम उन भर्तियों पर लागू नहीं होगा जिनकी अधिसूचना पहले ही जारी हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह शर्त भविष्य की भर्ती प्रक्रियाओं पर ही लागू होगी।