भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक और पारदर्शी कदम उठाते हुए अपने न्यायाधीशों की संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक करना शुरू कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अब न्यायाधीशों की चल-अचल संपत्तियों और देनदारियों का ब्यौरा उपलब्ध है। इस फैसले को भारतीय न्यायपालिका में पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक बड़ा और साहसिक निर्णय माना जा रहा है।
फुल कोर्ट का निर्णय: न्यायाधीशों को करनी होगी संपत्ति की घोषणा
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी वेबसाइट पर इस बाबत जानकारी साझा करते हुए बताया कि “भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्ण कोर्ट ने यह संकल्प लिया था कि न्यायाधीशों को पदभार ग्रहण करने पर मुख्य न्यायाधीश को अपनी संपत्ति की घोषणा करनी चाहिए। इसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा की गई घोषणाएं भी शामिल हैं। सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर संपत्ति की घोषणा डालना अनिवार्य होगा।”
यह निर्णय न्यायपालिका की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने और जनता के विश्वास को मजबूत करने की दिशा में लिया गया है।
अब तक 21 न्यायाधीशों ने दिया विवरण, 12 का इंतज़ार
सुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में कुल 33 न्यायाधीश कार्यरत हैं। इनमें से अब तक 21 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा सुप्रीम कोर्ट को सौंप दिया है और यह वेबसाइट पर प्रकाशित किया जा चुका है। शेष 12 न्यायाधीशों की जानकारी अब भी लंबित है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि “प्राप्त घोषणाओं को अपलोड किया जा रहा है। बाकी न्यायाधीशों के विवरण मिलते ही वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिए जाएंगे।”
भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की संपत्ति का विवरण
वर्तमान में भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना हैं। उन्होंने जो संपत्ति का ब्यौरा दिया है, उसके अनुसार:
बैंक खाते और सावधि जमा: कुल 55.75 लाख रुपये।
पीपीएफ खाता: 1.06 करोड़ रुपये।
अचल संपत्ति:
दक्षिण दिल्ली में डीडीए का दो बेडरूम फ्लैट।
कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज में चार बेडरूम का फ्लैट।
गुरुग्राम में चार बेडरूम का फ्लैट जिसमें उनकी 56% हिस्सेदारी है, शेष 44% उनकी बेटी के पास है।
हिमाचल प्रदेश में पैतृक घर में हिस्सेदारी।
आगामी मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की संपत्ति का ब्यौरा
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई, जो 14 मई 2025 को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश बनेंगे, उन्होंने भी अपनी संपत्ति का खुलासा किया है:
बैंक खाते: 19.63 लाख रुपये।
पीपीएफ खाता: 6.59 लाख रुपये।
अचल संपत्ति:
अमरावती (महाराष्ट्र) में एक घर।
मुंबई और दिल्ली में आवासीय अपार्टमेंट।
अमरावती और नागपुर में कृषि भूमि, जो उन्हें विरासत में मिली है।
देनदारी: 1.3 करोड़ रुपये की देनदारी घोषित की है।
जनता की नज़र में बढ़ेगा न्यायपालिका पर विश्वास
इस पहल को विशेषज्ञ न्यायपालिका में जवाबदेही को मजबूत करने वाला कदम मान रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की यह पारदर्शिता आम जनता के विश्वास को और गहरा करेगी, खासतौर पर जब न्यायपालिका से निष्पक्षता और जवाबदेही की अपेक्षा की जाती है।