ब्लड के नाम पर अब नहीं वसूल पाएंगे मोटी रकम: समूचे भारत के ब्लड बैंक को एडवाइजरी जारी : नए दिशानिर्देशों के तहत देनी होगी केवल प्रोसेसिंग शुल्क

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मिरर मीडिया : ब्लड के नाम पर मोटी रकम वसूलने वालों पर केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए लगाम लगा दिया है। बता दें कि अस्पतालों और प्राइवेट ब्लड बैंक में ब्लड देने के बदले पैसे लेने के नए फैसले के तहत ब्लड बैंक या अस्पताल से खून लेने पर अब प्रोसेसिंग शुल्क के अलावा किसी तरह का कोई चार्ज नहीं लगेगा। सरकार ने यह निर्देश इस बाबत जारी किया है कि खून बेचने के लिए नहीं होता है। समूचे भारत के ब्लड बैंक को यह एडवाइजरी जारी कर दी गई है।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस निर्णय का पालन करने और राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद (एनबीटीसी) के संशोधित दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहा है। इसकी जानकारी न्यूज18 को मिली है। बता दें कि रक्तदान न करने की स्थिति में निजी अस्पताल और ब्लड बैंक औसतन 2,000 रुपये से 6,000 रुपये प्रति यूनिट वसूल लेते हैं। इसके अलावा ब्लड की कमी या दुर्लभ ब्लड ग्रुप के मामले में, शुल्क 10,000 रुपये से अधिक है।

वहीं ब्लड डोनेट करने के बाद भी लोगों से प्रोसेसिंग शुल्क हमेशा लिया जाता है। हालांकि, नए दिशानिर्देशों के तहत, केवल प्रोसेसिंग शुल्क लिया जा सकता है, जो रक्त या रक्त घटकों के लिए 250 रुपये से 1,550 रुपये के बीच है। उदाहरण के लिए, संपूर्ण रक्त या पैक्ड रेड ब्लड सेल्स का वितरण करते समय 1,550 रुपये का शुल्क लगाया जा सकता है, जबकि प्लाज्मा और प्लेटलेट के लिए शुल्क 400 रुपये प्रति पैक होगा।

रोगियों के लिए सरकार का यह फैसला कारगर
सरकारी नियम क्रॉस-मैचिंग और एंटीबॉडी परीक्षण सहित रक्त पर अतिरिक्त परीक्षण चलाने के लिए अन्य शुल्क भी तय करते हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार का यह फैसला रोगियों के अनुकूल है, खासकर उन लोगों के लिए जो थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया जैसे रक्त विकारों के कारण नियमित रक्त संक्रमण से गुजरते हैं या सर्जरी से गुजर रहे रोगियों के लिए. ऐसे मामलों में, रिश्तेदारों या दोस्तों द्वारा रक्तदान करना हमेशा संभव नहीं होता है।

नेशनल थैलेसीमिया वेलफेयर सोसाइटी के महासचिव डॉ जेएस अरोड़ा ने कहा, “इस फैसले से कुछ कॉर्पोरेट अस्पतालों द्वारा की जाने वाली अधिक कीमत की प्रथा पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी। डॉ. अरोड़ा ने सरकार के फैसले की सराहना की और कहा कि जो शुल्क वसूलने की अनुमति दी गई है, वह किसी भी स्वास्थ्य सेवा परिसर के लिए किए गए खर्चों की वसूली के लिए पर्याप्त से अधिक है।

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