डिजिटल डेस्क/कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट ने वाहन चालकों के हक में एक बड़ा फैसला सुनाया है। अब पुलिस बिना किसी लिखित कारण के किसी भी वाहन चालक पर जुर्माना नहीं लगा सकती और न ही सिर्फ संदेह के आधार पर ड्राइविंग लाइसेंस जब्त कर सकती है। यह निर्णय गुरुवार को एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ अवैध वसूली के आरोप में दायर एक मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति पार्थसारथी चटर्जी की पीठ ने दिया।
क्या हैं हाई कोर्ट के अहम निर्देश?
- लिखित कारण अनिवार्य: यदि पुलिस किसी का ड्राइविंग लाइसेंस जब्त करती है, तो उन्हें इसका लिखित कारण या साक्ष्य देना होगा।
- अस्थायी पर्ची जरूरी: अगर किसी का लाइसेंस मौके पर जब्त किया जाता है, तो पुलिस को एक अस्थायी प्राधिकरण पर्ची (Temporary Authorization Slip) भी देनी होगी।
- पुलिस को लाइसेंस निलंबित/रद्द करने का अधिकार नहीं: हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ट्रैफिक पुलिस के पास किसी का ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित या रद्द करने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार केवल लाइसेंसिंग अथॉरिटी के पास ही सुरक्षित है।
- राज्य सरकार को निर्देश: कोर्ट ने इस फैसले की एक-एक प्रति राज्य के गृह विभाग और राज्य पुलिस महानिदेशक को भेजने का निर्देश दिया है, ताकि इस पर आवश्यक कार्रवाई की जा सके।
यह फैसला निश्चित रूप से वाहन चालकों के लिए एक बड़ी राहत है और पुलिस की मनमानी पर लगाम लगाएगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और यात्रियों को बेवजह परेशान होने से मुक्ति मिलेगी।