धनबाद के शहरी क्षेत्र में खेल के मैदान का ख़त्म होता अस्तित्व : कहीं बनी पार्किंग तो
मिरर मीडिया : धीरे धीरे धनबाद के शहरी क्षेत्र में स्थित खेल के मैदान का अस्तित्व समाप्त होने की कगार पर है। आपको बता दें कि धनबाद के गोल्फ ग्राउंड, कोहिनूर मैदान, हो या झारखंड मैदान और पार्क मार्केट हीरापुर का मैदान, कहीं भी खिलाड़ी अकसर दिख जाया करते थे। सुबह-शाम ये मैदान खेल और खिलाड़ियों से भरे नजर आते थे। मगर आज हालात बदल गए हैं। गोल्फ ग्राउंड पार्क में बदल चुका है, पार्क मार्केट हीरापुर में पार्किंग की वसूली हो रही है। बच्चों के लिए यह पार्क और वालीबाल खिलाड़ियों के लिए खेल का मैदान हुआ करता था। अब यहां गाड़ियां खड़ी होती हैं। वहीं कोहिनूर मैदान में पार्किंग वसूली तो हो ही रही है। इसके साथ ही पूरा मैदान भवन निर्माण का केंद्र बन चुका है।
एक तरफ जिला प्रशासन का वज्रगृह बन गया है तो एक ओर नगर निगम का वेंडिंग मार्केट बन रहा है। बची हुई जगह में बहुत पहले से ही स्टांप वेंडर्स ने कब्जा कर रखा है। कुल मिलाकर कहा जाए तो कोहिनूर मैदान खत्म हो चुका है।, वहीं दूसरी तरफ जिला परिषद स्थित मैदान में भी आए दिन कुछ न कुछ प्रदर्शनी, मेला या आम सभा के कारण इस मैदान की भी अस्तित्व खत्म हो चुकी है।
धनबाद में खेल के मैदान का आभाव से खिलाड़ी चिंतित
अब बात करते हैं झारखंड मैदान की! यह मैदान फुटबाॅल को लेकर जाना जाता रहा है। यहां मोहन बागान और ईस्ट बंगाल के खिलाड़ी अपना दमखम दिखा चुके हैं। आज झारखंड मैदान का भी अस्तित्व समाप्त हो चुका है। मैदान में सामुदायिक भवन, छात्रावास, पानी की टंकी और बीडीओ ऑफिस बनने की वजह से मैदान का अधिकतर हिस्सा खत्म हो चुका है।
खेल मैदान को लेकर मिले थे निर्देश
जून 2019 में सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव डीके तिवारी ने खेल मैदान की घटती संख्या पर चिंता जताई थी। उन्होंने राज्य के सभी उपायुक्तों को पत्र जारी कर स्पष्ट निर्देश दिया था कि राज्य के सभी खेल मैदानों में सिर्फ खेल की गतिविधियां होंगी। सभी तरह के लोकप्रिय खेल को बढ़ावा देना जरुरी है।
धनबाद के खिलाड़ी बेहतर कर रहे हैं, लेकिन जब खेल का मैदान ही नहीं होगा तो ये प्रशिक्षण कहां लेंगे। पार्क मार्केट हीरापुर सबसे मुफीद जगह है। इसे भी पार्किंग कर खत्म कर दिया गया है। खिलाड़ियाें के बारे में कम से कम ध्यान दिया जा रहा है खिलाडि़यों ने धनबाद में सिमटते खेल के मैदान और खेलों के भविष्य पर लगते प्रश्न चिह्न पर चिंता जताई।
करीब एक साल पहले राज्य शहरी विकास अभिकरण के निदेशक ने आनलाइन बैठक में स्पष्ट निर्देश दिया था कि अपने शहर में खेल के मैदानों को विकसित करने को लेकर विस्तृत प्रस्ताव भेजें। नगर निगम की ओर से छह मैदान का प्रस्ताव भेजकर योजना भी बनाई गई, एक वर्ष बीत जाने के बाद भी यह धरातल पर नहीं उतर सकी। शहर में क्या मिल पाएंगे खेलने के लिए मैदान, क्या मैदानों को खिलाड़ियों के खेलने के लिए किया जाएगा विकसित इस पर सवाल अब भी खड़े हैं।