मिरर मीडिया : कोयलांचल में कोयला का अपार भण्डार है। और अपार भण्डारण के साथ ही अगर निगरानी ना हो तो राजस्व की अपार क्षति की भी
प्रबल संभावना है। कहने का मतलब की बिना मेल का काला खेल संभव ही नहीं है। प्रशासन और विभाग के नाक के नीचे से रोजाना लाखों रूपये के कोयले का खेला हो जाता है पर साहब को तो कुछ दिखता हो नहीं। नहीं दिखना भी लाज़मी है क्यूंकि आँखों ओर पर्दा जो लगा दिया गया है।
आपको बता दें कि धनबाद में कोल माफिया ने ऐसा जाल बिछाया है कि कोयला भी चोरी छिपे निकलता जाता है और कोई देख कर भी आँखों ओर पट्टी बांध लेता है। सूत्रों कि माने तो सुदामडीह में दामोदर पुल के रास्ते एवं बाईक़्वार्टर
पम्प हाउस के रास्ते भारी मात्रा में कोयला पास कराकर बंगाल भेजा जाता है। वहीं दामोदर नदी, टासरा रेलवे साइडिंग, मार्शलिंग यार्ड,लोदना के एनटी -एसटी व बंद जीनागोड़ा पैच, झरिया, बास्तकोला, राजापूर ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ अवैध तस्करी फल फूल रहा है जबकि तस्कर सुदामडीह भौँरा क्षेत्र से में रात दिन कोयला की तस्करी खुले आम देखी जा सकती है। वहीं इसके साथ ही 100 से 159 रूपये प्रति बोरा कोयले को खरीदकर साइकिल और बाइक इत्यादि से लेकर ढोया जाता है। ऐसा नजारा धनबाद के बैंकमोड़ गया पूल पर भी देखा जाता है जहाँ सैकड़ों की संख्या में साइकिल और बाइक से बोरी में कोयला ढोया जाता है पर ताज्जुब की बात ये है कि इस रास्ते में थाना भी पड़ता है और प्रशासन की पेट्रोलिंग भी रहती होगी पर कभी आमना सामना होते भी नहीं देखा गया।
कोयला तस्करों का सिंडीकेट इतना व्यापक पैमाने पर सक्रिय है कि कोयलांचल का हर कोलियरी परियोजनाओं के क्षेत्र से अवैध रूप से कोयले की तस्करी रोजाना की जाती है। जानकारी के अनुसार हर दिन औसतन 250 से 300 हाईवा कोयले की तस्करी की जाती है। वहीं इसके अलावा बाइक और साइकिल से रात के अंधेरे में तो कहीं दिन के उजाले में भी तस्करी की जाती है।