डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: भारत में मतदाताओं की कुल संख्या अब 99.1 करोड़ हो गई है, जो पिछले वर्ष लोकसभा चुनाव के समय 96.88 करोड़ थी। यह जानकारी चुनाव आयोग के हालिया आंकड़ों से सामने आई है। राष्ट्रीय मतदाता दिवस से पहले जारी एक बयान में चुनाव आयोग ने कहा कि देश की मतदाता सूची अब युवा और लिंग-संतुलित हो रही है। इसमें 18-29 आयु वर्ग के कुल 21.7 करोड़ मतदाता शामिल हैं।
महिला मतदाताओं की संख्या में वृद्धि
चुनाव आयोग के अनुसार, 2025 में मतदाता लिंग अनुपात 954 पर पहुंच गया है, जो 2024 में 948 था। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने कहा कि महिला मतदाताओं की संख्या जल्द ही 48 करोड़ को पार कर जाएगी। यह बदलाव महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और चुनावी प्रक्रिया में सुधार को दर्शाता है।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस और लोकतंत्र का महत्व
राष्ट्रीय मतदाता दिवस हर वर्ष 25 जनवरी को निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1950 में स्थापित निर्वाचन आयोग ने भारतीय लोकतंत्र को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई है। इस दिन का उद्देश्य मतदान के महत्व को जागरूक करना और नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति संवेदनशील बनाना है।
मुख्य चुनाव आयुक्त की घोषणा
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने 7 जनवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा था कि भारत जल्द ही एक अरब से अधिक मतदाताओं का नया रिकॉर्ड बनाएगा। उन्होंने कहा, हमारे मतदाताओं की संख्या 99 करोड़ को पार कर गई है, और यह आंकड़ा बहुत जल्द 1 अरब तक पहुंच जाएगा। यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।
विशेष सारांश संशोधन (SSR) का योगदान
उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और पंजाब जैसे राज्यों में विशेष सारांश संशोधन (SSR) के तहत मतदाता सूची को अद्यतन किया गया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया कि इन राज्यों के परिणाम घोषित होने के बाद भारत पहली बार 99 करोड़ मतदाताओं को पार कर गया है।
लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक
चुनाव आयोग के आंकड़े देश के लोकतंत्र की मजबूती और व्यापकता को दर्शाते हैं। बढ़ती मतदाता संख्या यह साबित करती है कि लोग अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो रहे हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।