ओड़िया समाज ने मनाया नववर्ष

Anupam Kumar
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जमशेदपुर। ओड़िया समाज का नववर्ष 14 अप्रैल को अपना नववर्ष मनाया। समाज के लोग इसे पणा संक्रांति भी कहते हैं। पणा सक्रांति पर ओड़िया समाज के घरों में एक विशेष तरह का शरबत बनाने की परंपरा है। जिसे पणा कहा जाता है। पणा का मूल अर्थ है शरबत होता है। यह पणा बेल, आम, सत्तू, दही, केला, नरियल, काजू किशमिश आदि से बनता है। इस पणा को सर्वप्रथम समाज के लोग प्रभु जगन्नाथ को अर्पित करते हैं। जिसके बाद तुलसी के पौधे पर एक छोटा सा कलश लटका कर उसमें छेद कर यह पणा डाला जाता है। तुलसी के पौधे पर यह टपकता रहता है। यह प्रक्रिया पूरे 1 महीने चलती है। जिसके बाद कलश में पानी डाला जाता है। ताकि तुलसी का पौधा गर्मी से सूखे ना। जिसके बाद समाज के लोग इस शरबत को अपने पूर्वजों के समाधि स्थान पर भी कलश में डालकर अर्पित करते हैं। कलश के नीचे एक केले का पत्ता रखा जाता है जिसके ऊपर कलश रखे जाते हैं। जिसके बाद घर के सभी लोग इसका सेवन करते हैं।

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