
पर्व –त्यौहार : नवरात्रि का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है। इन नौ दिनों मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। जिन्हें काली, महाकाली, मृत्यु, रुद्राणी, भद्रकाली, भैरवी, चामुंडा, चंडी आदि नामों से जाना जाता है। देवी कालरात्रि को मां दुर्गा का उग्र रूप माना जाता है।
मां आत्माओं, भूतों और सभी नकारात्मक ऊर्जाओं को नष्ट करती हैं। ऐसी मान्यता है, अगर मां कालरात्रि की पूजा भक्त सच्चे दिल से करते हैं, तो उनके कार्य में किसी भी प्रकार का विघ्न नहीं पड़ता है।
ॐ ह्रीं क्लीं अमुकी क्लेदय क्लेदय आकर्षय आकर्षय, मथ मथ पच पच द्रावय द्रावय मम सन्निधि आनय आनय, हुं हुं ऐं ऐं श्रीं श्रीं स्वाहा””क्लीं क्रीं हुं क्रों स्फ्रों कामकलाकाली स्फ्रों क्रों क्लीं स्वाहा!!””शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे सर्वास्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोस्तुते””ओम एं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै. ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं स्वाहा”
मां काली का प्रिय फूल
मां को लाल रंग अति प्रिय है। इसलिए मां काली की पूजा में लाल गुड़हल का फूल अर्पित करना बेहद शुभ माना गया है। हालांकि मां की पूजा में रातरानी का फूल भी अर्पित किया जाता है।
मां काली का प्रिय भोग
मां काली अपने भक्तों से ज्यादा चीजों की अभिलाषा नहीं रखती हैं। लेकिन अगर मां को गुड़ का भोग लगाया जाए,तो इससे मां बेहद प्रसन्न होती है।