मिरर मीडिया : झारखंड की राजनीति की उथल पुथल मुख्यमंत्री के डगमगाते कुर्सी को संभालते हुए झारखंड के मुखिया हेमंत सोरेन ने 1932 खतियान के आधार पर स्थानीयता का कार्ड खेलकर मास्टर स्ट्रोक खेला है। हालांकि ये तो राजनीति है इसमें कुछ कहा नहीं जा सकता। पर इतना तो तय है कि इससे सत्ता दल सहित विपक्षीयों के बीच माहौल गर्म हो गया है। लिहाजा सरकार की यह नीति विपक्षियों के लिए गले में फंसी वो हड्डी बन गई है जिसे न उगलते और ना ही निगलते बन रही है।
इसी क्रम में बाघमारा से भाजपा विधायक ढुलू महतो ने 1932 के खतियान के आधार पर तय की गई स्थानीय नीति और ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण का समर्थन कर दिया है। आपको बता दें कि झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से भेंट करने के दौरान ढुलू ने कहा कि भाजपा कभी भी स्थानीय नीति में बाधक नहीं रही है। भाजपा तो स्थानीय नीति की मांग पूर्व से करती आ रही है। हेमंत सरकार द्वारा बनाई गई स्थानीय नीति का ढुलू महतो ने स्वागत करते हुए शिक्षा मंत्री को बधाई भी दी।
सूत्रों कि माने तो जगरनाथ महतो को ढुलू का राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और एकदूसरे के ख़िलाफ माना जाता है। लेकिन 1932 के खतियान के मुद्दे पर मंत्री जगरनाथ महतो के घर पहुंचकर बधाई देना किसी को भी आश्चर्य कर सकता है। इतना ही नहीं इसके साथ ही शिक्षा मंत्री ने कहा कि विशेष सत्र में स्थानीय नीति और पिछड़ा वर्ग के आरक्षण से संबंधित विधेयक पेश किया जाएगा। इन विधेयकों पर चर्चा के बाद इसे पारित कराने की औपचारिकता पूरी हो जाएगी। फिर इसको मंजूरी के लिए राजभवन को प्रेषित करेंगे।
हालांकि मंत्री ने ये भी कहा कि जो भूमिहीन होंगे या जिनके पास खतियान नहीं होगा, ग्रामसभा से उनकी पहचान कराकर उन्हें स्थानीय का दर्जा दिलाया जाएगा।