शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा की उपासना के लिए समर्पित है। देवी कुष्मांडा को सृष्टि की उत्पत्ति की देवी माना जाता है, जिन्होंने अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड का निर्माण किया। इनके पूजन से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
शुभ मुहूर्त
2024 के शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन, मां कुष्मांडा की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त निम्नलिखित हैं:
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:50 से दोपहर 12:37 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 2:17 से 3:03 तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:02 से 6:26 तक
इन शुभ मुहूर्तों में मां कुष्मांडा की आराधना करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
पूजा विधि
1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. मां कुष्मांडा की मूर्ति या चित्र को पूजा स्थल पर स्थापित करें।
3. गंगाजल से शुद्धिकरण कर, देवी को सफेद या पीले फूल अर्पित करें।
4. देवी को फल, मिष्ठान, नारियल, अक्षत (चावल), सिंदूर, और कमल का फूल चढ़ाएं।
5. मां कुष्मांडा को मालपुआ का भोग विशेष रूप से प्रिय है, अतः उन्हें यह भोग अवश्य लगाएं।
6. पूजा में मां कुष्मांडा के निम्नलिखित मंत्र का जाप करें:
मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कुष्माण्डायै नमः।
इस मंत्र का 108 बार जाप करने से मां की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
7. पूजा के बाद देवी की आरती करें और भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करें।
मां कुष्मांडा की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था और चारों ओर केवल अंधकार ही था, तब देवी कुष्मांडा ने अपने मंद हंसते हुए सृष्टि की रचना की। उन्हें “अदिशक्ति” माना जाता है, जिन्होंने अपने ऊर्जा से ब्रह्मांड को जन्म दिया। उनके तेज से दसों दिशाएं प्रकाशित हो उठीं। यही कारण है कि उन्हें “कुष्मांडा” नाम से जाना जाता है। उनके आशीर्वाद से मनुष्य के समस्त रोग-दोष दूर होते हैं और आयु, यश, बल, एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
मां कुष्मांडा का स्वरूप
मां कुष्मांडा अष्टभुजा धारी हैं और उनके प्रत्येक हाथ में कमंडल, धनुष, बाण, कमल, अमृत कलश, चक्र, गदा और जपमाला धारण हैं। उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है। देवी का यह स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और आनंदमयी है।
विशेष आशीर्वाद
मां कुष्मांडा की पूजा करने से आत्मबल, सेहत और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, मां की कृपा से भक्तों को सफलता और उन्नति प्राप्त होती है।
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा से साधक का जीवन खुशहाल और समृद्धि से भर जाता है।