दुनिया में अब तक न जाने कितनी ऐसी चीजें हैं, जिनका इंसान ने अनुभव तक नहीं किया। अब वैज्ञानिकों ने रंगों की दुनिया में एक ऐसी खोज की है, जो इंसान की सीमित समझ को चुनौती देती है। वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक नए रंग की खोज की है, जिसे आज तक किसी ने नहीं देखा था। इस रहस्यमयी रंग को नाम दिया गया है – ‘ओलो’।

बताया जा रहा है कि ‘ओलो’ नामक यह रंग आमतौर पर देखे जाने वाले रंगों से बिल्कुल अलग है। इसे देखने के लिए इंसानी आंखों पर विशेष लेजर तकनीक का उपयोग किया गया है। इस प्रयोग के तहत वैज्ञानिकों ने रेटिना पर लेजर बीम फायर की और तब जाकर मस्तिष्क ने इस रंग को महसूस किया।
अब तक इस रंग को केवल पांच वैज्ञानिकों ने ही देखा है। सोचने वाली बात यह है कि पूरे विश्व में मात्र 5 लोग इस रंग का साक्षात अनुभव कर पाए हैं।
वैज्ञानिकों के अनुसार यह रंग मोर के नीले या चैती रंग से कुछ मेल खाता है, लेकिन फिर भी इससे बिल्कुल अलग है। इसकी सटीक व्याख्या करना मानव भाषा और तकनीक के लिए संभव नहीं है। यहां तक कि इसकी तस्वीर भी केवल एक ‘आभास’ है, वास्तविकता से कोसों दूर।
‘ओलो’ क्यों नहीं दिखेगा आम इंसान को?
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह रंग स्मार्टफोन, टीवी, लैपटॉप या किसी भी डिजिटल डिवाइस पर नहीं दिख सकता। यहां तक कि यह VR (वर्चुअल रियलिटी) तकनीक से भी परे है। यह केवल एक विशेष जैविक और तकनीकी प्रक्रिया के माध्यम से ही अनुभव किया जा सकता है, जो आम लोगों के लिए संभव नहीं है।
वैज्ञानिकों ने यह भी स्पष्ट किया कि हम इस खोज को लेकर इसलिए उत्साहित थे क्योंकि यह दिखाता है कि मस्तिष्क कैसे सीमाओं से परे जाकर चीजों को अनुभव कर सकता है।
भविष्य में यह खोज विज्ञान, दृष्टि और ब्रह्मांड की समझ के क्षेत्र में नए दरवाज़े खोल सकती है। लेकिन फिलहाल, ‘ओलो’ एक ऐसा रंग बन गया है, जिसे पूरी दुनिया सिर्फ 5 आंखों ने देखा है।
यह रंग एक रहस्य है — जो दिखता नहीं, बस महसूस होता है।