प्रदेश सरकार के पंचायती राज मंत्री और सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) प्रमुख ओमप्रकाश राजभर ने बिहार विधानसबा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान किया है। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर पटना पहुंचे ओपी राजभर ने कहा कि बिहार चुनाव में एनडीए में उन्हें 30 सीटें चाहिए, नहीं तो वे अकेले लड़ेंगे। अकेले लड़ने पर एनडीए को नुकसान होगा तो उनकी जवाबदेही नहीं होगी।

राजभर ने साफ शब्दों में कहा, मैं बिहार में 30 सीटों पर चुनाव लड़ूंगा और अगर सम्मानजनक सीटें नहीं मिलीं तो हमारे लिए सारे विकल्प खुले हैं। मेरी पार्टी 150 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, भले ही उससे एनडीए को फायदा हो या नुकसान। राजभर ने बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा के शीर्ष नेताओं से उनकी बातचीत हुई थी और उन्होंने एक सीट की मांग की थी, लेकिन उस समय उन्हें आश्वासन दिया गया कि पार्टी के नेताओं को बोर्ड और निगमों में जगह दी जाएगी। परंतु अब तक ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।
वादा पूरा नहीं किया गया तो बिहार में अकेले लड़ेंगे-राजभर
ओपी राजभर ने आगे कहा कि बिहार में पिछले साल उपचुनाव में तरारी और रामगढ़ से उन्होंने उम्मीदवार उतारे थे। बीजेपी आलाकमान के कहने पर उम्मीदवारों को वापस कर लिया। नतीजा यह हुआ कि मेरे कारण दोनों सीट एनडीए के खाते में आ गई। नीतीश कुमार, बीजेपी आलाकमान ने मुझे फोन कर धन्यवाद दिया था। उन्होंने कहा, तरारी, रामगढ़ में जब हमने उम्मीदवार वापस लिए थे तो बीजेपी आलाकमान से आश्वासन मिला था कि विधानसभा चुनाव में आपको एडजस्ट करेंगे। वादा नहीं पूरा किया गया तो बिहार में अकेले लड़ेंगे। हमारे मतदाता फ्री में वोट एनडीए को नहीं देंगे। हम साथ रहेंगे तब देंगे।
सीट बंटवारे को लेकर बातचीत जारी
उन्होंने बताया कि सीट बंटवारे को लेकर उनकी बातचीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े और प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से चल रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही इस पर निर्णय होगा। राजभर ने कहा कि उन्होंने सीटों की संख्या को लेकर कोई सीधी डिमांड नहीं रखी है, लेकिन वे चाहते हैं कि एनडीए के साथ रहकर मजबूती से चुनाव लड़ा जाए।
56 सीटों पर सुभासपा की मजबूती का दावा
राजभर ने दावा किया कि बिहार में 56 ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां सुभासपा की मजबूत पकड़ है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में 26% आबादी अति पिछड़ी जातियों की है, लेकिन राजनीति में इनकी हिस्सेदारी न के बराबर है। इसलिए उन्हें भी राजनीतिक हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।