रांची/हजारीबाग: झारखंड की चंद्रपुरा ओपन कास्ट परियोजना से जुड़े एक बड़े जमीन घोटाले का मामला सामने आया है, जिसमें 417 एकड़ वन भूमि से संबंधित दस्तावेज़ रहस्यमय तरीके से ग़ायब हो गए हैं। इस मामले को लेकर न सिर्फ सीआईडी ने सीसीएल (CIL की सहयोगी इकाई) के जीएम को नोटिस भेजा है, बल्कि अब विपक्ष ने भी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने इस प्रकरण को लेकर “ऑपरेशन जंगल लूट” नाम देकर हेमंत सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा:
“417 एकड़ जंगल की ज़मीन का रिकॉर्ड रातों-रात ग़ायब हो जाता है और सरकार मौन व्रत में है! दस्तावेज़ों में छेड़छाड़, मूल रजिस्टर से पन्ने फाड़ना और भूस्वामित्व का फर्जीवाड़ा—यह सब अफसरशाही की मिलीभगत के बिना मुमकिन नहीं।”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि आखिर सरकार ने इतने बड़े मामले में अब तक एफआईआर दर्ज क्यों नहीं करवाई। उन्होंने आशंका जताई कि इस लूट की स्क्रिप्ट रांची के सचिवालय में ही लिखी गई थी और इसी के तहत कथित तौर पर हैदराबाद की एक निजी कंपनी सुशी इंफ्रा एंड माइनिंग को यह भूमि आवंटित कर दी गई।
क्या है मामला?
हजारीबाग जिला अंतर्गत चंद्रपुरा ओपन कास्ट परियोजना के लिए अधिग्रहित 417 एकड़ वन भूमि से संबंधित रिकॉर्ड 2021-22 के बीच गायब हो गए। सीआईडी जांच में सामने आया कि मूल मुआवजा रजिस्टर से पन्ने फाड़े गए, फर्जी कागजात बनाए गए और राजस्व दस्तावेज़ों से छेड़छाड़ की गई। यह सब कुछ सीसीएल अधिकारियों और स्थानीय राजस्व कर्मियों की मिलीभगत से हुआ, ऐसी आशंका जताई जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, मुआवजे में अरबों रुपये की हेराफेरी की आशंका है, जिससे कुछ प्रभावशाली लोगों को सीधा लाभ हुआ है।
CID ने क्यों भेजा नोटिस?
सीआईडी ने सीसीएल के जीएम को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए दस्तावेज़ गायब होने की जानकारी मांगी है। यह भी कहा गया है कि अब तक किसी भी स्तर पर प्राथमिक सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज नहीं की गई, जो जांच को प्रभावित कर सकता है।
राजनीतिक गर्मी बढ़ी
बाबूलाल मरांडी ने सीधे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा, “जंगल ही नहीं, सरकार भी बिक चुकी है।” उन्होंने सरकार पर रिटायर्ड अफसरों की नियुक्ति के माध्यम से घोटाले छिपाने का भी आरोप लगाया।
सरकार की चुप्पी पर उठे सवाल
अब तक इस मामले में हेमंत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, जिससे सवाल और गहरे हो गए हैं। विपक्ष की मांग है कि मामले की जांच सीबीआई से करवाई जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।