जून 2025 की शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने आवास पर उन सांसदों और नेताओं से मुलाकात करेंगे, जिन्हें हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के संदेश को दुनिया भर में पहुँचाने का ज़िम्मा सौंपा गया था।
🌐 ऑपरेशन सिंदूर और समिति की भूमिका
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की हत्या के बाद भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नामक कूटनीतिक अभियान लॉन्च किया। इसके तहत 7 सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को अमेरिका, यूरोप, ब्राज़ील, मध्य-पूर्व, अफ्रीका और एशिया के प्रमुख देशों में भेजा गया था, ताकि आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख स्पष्ट रूप से पेश किया जा सके।
इनमें भाजपा के रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा; कांग्रेस के शशि थरूर; शिवसेना के श्रीकांत शिंदे; जदयू के संजय झा; इन सबके अलावा DMK, NCP-SP और AIMIM के नेता शामिल थे।
🗣️ किसने कहाँ क्या कहा?
लंदन में रविशंकर प्रसाद की मुलाकात ब्रिटिश मंत्री के साथ हुई, जिन्होंने आतंकवाद के खिलाफ भारत की मान्य नीति की सराहना की। उनकी टिप्पणी: “बंध समय में ब्रिटेन भारत के साथ खड़ा है।”
मलेशिया में जदयू सांसद संजय झा ने बताया कि “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकता” — भारत की विरोधी नीतियों के प्रति कड़े रुख को उन्होंने रेखांकित किया।
अल्जीरिया, स्पेन, मिस्र, बहरैन, कुवैत समेत अन्य देशों में भी भारत विरोधी आतंकवादवाद को लेकर मजबूत एकता तथा समर्थन प्राप्त हुआ।
🇵🇰 पाकिस्तान पर नज़र
भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया: आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा—चाहे वह आतंकी हों या उन्हें समर्थन देने वाले। अगर भारत पर हमले होते हैं, तो जवाब “मुंहतोड़” होगा।
ऑपरेशन सिंदूर को “नई सामान्य” (new normal) के रूप में पेश किया गया और इसे पाकिस्तान को एक स्पष्ट संदेश माना गया कि हमला करने वालों को सख़्त परिणाम भुगतना पड़ेंगे।
🌏 प्रतिनिधिमंडलों की भूमिका
सात प्रतिनिधिमंडलों में कुल 50 से अधिक सांसद एवं पूर्व राजनयिक शामिल थे। उन्होंने 33 देशों और यूरोपीय संघ को भ्रमण करके, भारत की जीरो‑टॉलरेंस नीति और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ रुख को स्पष्ट रूप से रखा।
इनमें भाजपा (रविशंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा), कांग्रेस (शशि थरूर), शिवसेना (श्रीकांत शिंदे), जदयू (संजय झा), DMK, NCP‑SP, AIMIM समेत कई प्रमुख दलों के सांसद थे।
🔄 बैठक का एजेंडा
प्रधानमंत्री मोदी प्रतिनिधिमंडलों से निम्नलिखित मुद्दों पर बातचीत करेंगे:
- विदेश दौरों पर प्राप्त प्रतिभागी प्रतिक्रियाएँ—मुख्य रूप से किस तरह का रुख सामने आया।
- क्यों “ऑपरेशन सिंदूर” को एक संयुक्त, सर्वदलीय संदेश के रूप में गौरवान्वित किया गया।
- अगले कदम और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे और प्रभावी बनाने की रणनीतियाँ।
यह बैठक लोगों को संसद में मानसून सत्र से पहले एक छवि देती है कि सरकार आतंरिक एकजुटता के साथ आतंकवाद के ख़िलाफ़ गंभीर है।