बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग के विशेष मतदाता गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सियासत जारी है। विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन इसको लेकर लगातार सवाल उठा रहा है। बिहार की विपक्षी पार्टियों ने इस कदम की तीखी आलोचना की है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे ‘लोकतंत्र को कमज़ोर करने की कोशिश’ बताया है। अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की चुनाव आयोग की योजना पर संदेह व्यक्त किया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि पुनरीक्षण से राज्य के करोड़ों मतदाता मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।

ओवैसी ने उठाया सवाल
असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव आयोग की बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि बूथ स्तर के अधिकारियों के लिए इतने कम समय में करोड़ों वोटर्स के रिकॉर्ड को अपडेट करना करीब-करीब असंभव है। उन्होंने कहा, आप (चुनाव आयोग) चाहते हैं कि यह प्रक्रिया एक महीने में निपटा ली जाए। यह कैसे संभव है? आप इसे महज एक महीने में कैसे कर सकते हैं? इसके पीछे क्या तर्क है?
ओवैसी इलेक्शन कमीशन को लिखेंगे पत्र
ओवैसी ने बताया कि हम इलेक्शन कमीशन को लेटर लिख रहे हैं। ओवैसी ने कहा कि जब आप इतनी बड़ी एक्सरसाइज कर रहे हैं तो आपने सभी पार्टियों की मीटिंग क्यों नहीं बुलाई। अवैसी ने कहा कि आप जल्दबाजी में यह काम नहीं कर सकते हैं।
ओवैसी ने एसआईआर को बताया असंभव
ओवैसी ने कहा कि इसमें वोटर्स को नुकसान होगा। उन्होंने आगे कहा, बिहार के ज्यादातर युवा पलायन कर चुके हैं। वे आर्थिक और अन्य वजहों से पंजाब, केरल, मुंबई, हैदराबाद और दिल्ली आदि राज्यों में चले जाते हैं, इसी तरह सीमांचल का अधिकांश क्षेत्र बाढ़ की वजह से करीब छह महीने तक कटा रहता है। अब, आप इसे एक महीने में करना चाहते हैं। उन्होंने आयोग पर सवाल करते हुए कहा, बीएलए आपके घर कितनी बार आएगा? शायद वह एक बार, दो बार और तीन बार आएगा। यह काफी चौंकाने वाला है कि चुनाव आयोग ऐसा कर रहा है। उन्होंने कहा, आपके पास (बिहार में) करीब 8 करोड़ वोटर्स हैं। बीएलए के लिए एक महीने में इसे कर पाना कैसे संभव होगा? यह मानवीय रूप से असंभव है।