जीएसटी के 8 साल: व्यापारियों का दर्द, नुकसान और ट्रिब्यूनल की अनुपस्थिति

Manju
By Manju
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डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर : कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव सुरेश सोंथालिया ने वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) के आठ साल पूरे होने पर व्यापारियों की समस्याओं और नुकसानों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि जीएसटी, जिसे ‘एक देश, एक कर’ के रूप में लागू किया गया था, व्यापारियों के लिए कई मामलों में शोषण का माध्यम बन गया है।

क्या खोया, क्या पाया

सोंथालिया ने बताया कि जीएसटी ने व्यापारियों को कुछ हद तक फॉर्मों के जंजाल से मुक्ति दिलाई, लेकिन नई धाराओं और प्रक्रियाओं ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जीएसटी की धारा 74 का दुरुपयोग विशेष रूप से केंद्रीय जीएसटी (सी-जीएसटी) विभाग द्वारा किया जा रहा है। इस धारा के तहत बिना ठोस सबूत के व्यापारियों को ‘इरादतन कर-अपवंचन’ का आरोप लगाकर नोटिस जारी किए जा रहे हैं, जिससे व्यापारी भयभीत और आर्थिक रूप से परेशान हैं। इसके अलावा, धारा 16(2) के तहत यदि कोई रजिस्टर्ड व्यापारी माल बेचकर गायब हो जाता है, तो खरीदने वाले व्यापारी से उसका कर वसूला जाता है, भले ही भुगतान बैंक के माध्यम से किया गया हो। यह व्यापारियों के लिए अन्यायपूर्ण है।

जीएसटी ट्रिब्यूनल की स्थिति
सोंथालिया ने जीएसटी ट्रिब्यूनल की अनुपस्थिति पर गहरी निराशा जताई। उन्होंने कहा कि हालांकि ट्रिब्यूनल के चेयरमैन की नियुक्ति हो चुकी है और उन्हें एक साल से वेतन भी दिया जा रहा है, लेकिन राज्यों में ट्रिब्यूनल का गठन अभी तक नहीं हुआ है। इसकी वजह से व्यापारियों के करोड़ों रुपये सरकार के पास अटके हुए हैं, और उनकी अपीलें अनसुनी रह रही हैं।

सड़क पर वाहनों की जब्ती और जबरदस्ती वसूली

सोंथालिया ने बताया कि जीएसटी में मामूली गलतियों पर भी व्यापारियों के मालवाहक वाहनों को सड़क पर सचल दलों द्वारा जब्त कर लिया जाता है। इन वाहनों को सेंट्रलाइज्ड सेंटर ले जाकर जबरन जुर्माना और जमानत राशि वसूली जाती है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसी गलतियों पर व्यापारियों को नोटिस देकर उनके वाहनों को छोड़ देना चाहिए और मामले को उनके सर्कल या विभाग में भेजना चाहिए। उन्होंने कहा कि धारा 73 के तहत 2020-21 तक के मामले समयबाधित हो चुके हैं, लेकिन सी-जीएसटी विभाग धारा 74 के तहत इन मामलों में भी नोटिस जारी कर व्यापारियों का भयादोहन कर रहा है। सोंथालिया ने आरोप लगाया कि विभाग बिना पुख्ता सबूत के व्यापारियों को फ्रॉड घोषित कर रहा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो रही है।

‘एक देश, एक कानून’ का नारा अधूरा

सोंथालिया ने कहा कि जीएसटी लागू करते समय प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया ‘एक देश, एक कानून’ का नारा अधूरा साबित हुआ है। सी-जीएसटी विभाग राज्य सरकारों के अपीलीय निर्णयों को मानने से इनकार करता है, जिससे व्यापारियों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति व्यापारियों के साथ धोखा है।

आने वाला आंदोलन

सोंथालिया ने चेतावनी दी कि यदि जीएसटी की इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो व्यापारी आंदोलन करने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि जीएसटी ने व्यापारियों की जमा पूंजी को सरकार के खजाने में जमा करा दिया है, जिससे उनका रोजगार खतरे में है। कैट के राष्ट्रीय संयुक्त महासचिव ने सरकार से मांग की कि जीएसटी की प्रक्रियाओं को सरल किया जाए, ट्रिब्यूनल का तुरंत गठन हो, और व्यापारियों के साथ हो रहे अन्याय को रोका जाए। उन्होंने कहा कि व्यापारी वर्ग जीएसटी के मूल उद्देश्य का समर्थन करता है, लेकिन मौजूदा व्यवस्था उनकी मुश्किलें बढ़ा रही है।

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