समय से पूर्व अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग कितना सही! क्या विकास में उत्पन्न हो सकती है बाधा ?

KK Sagar
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Jharkhand राज्य में विकास की गति को आयाम देने और विधि व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रत्येक जिले में प्रशासनिक अधिकारीयों IAS और IPS को कार्यभार सौंपा गया है जिन्हें एक उचित अंतराल के बाद तबादला दूसरे जिले में किया जाता है। लेकिन Jharkhand में राज्य सरकार का कुछ अलग ही रवैया देखने को मिल रहा है। जहां राज्य सरकार झारखंड में आईएएस और आईपीएस को सही ढंग से काम ही नहीं करने दे रही है।

किसी को 8 महीना तो किसी को 1 वर्ष में ही तबादला

आलम ये है कि पदभार ग्रहण के बाद जिलाधिकारी एवं वरीय पुलिस अधीक्षक को सही से काम करने नहीं दिया जाता है यानी कभी आठ महीने में तो कभी 1 साल के कम अंतराल में ही तबादला कर दिया जाता है और यहीं वज़ह के कारण जिले में विकास को गति नहीं मिल पाती है। वहीं कानून व्यवस्था की बात करें तो आईपीएस जिले के कानून व्यवस्था को सँभालते है लेकिन उन्हें भी काफी कम अंतराल में ट्रांसफर कर दिया जाता है। लिहाजा अपराधियों के मन में प्रशासन का खौफ़ नहीं रहा।

राजनीति कारणों के कारण प्रशासनिक अधिकारीयों का समय अवधि के पहले ही तबादला

यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि कुछ राजनीति कारणों के कारण प्रशासनिक अधिकारीयों का समय अवधि के पहले ही तबादला कर दिया जाता है। जिससे कई दृष्टिकोण में जिले की गति की रफ़्तार धीमी पड़ जाती है और अव्यवस्थाएं फैलने लगती है। जो कि प्रशासनिक व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है।

किसी अफ़सर को दो साल से कम समय में नहीं हटाया जा सकता

बता दे कि भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद, सिविल सर्विस बोर्ड के ज़रिए आईएएस, आईपीएस, और आईएफ़एस अफ़सरों के तबादले, पोस्टिंग, और प्रमोशन की व्यवस्था की है। इस व्यवस्था के मुताबिक, सामान्य परिस्थितियों में किसी अफ़सर को दो साल से कम समय में नहीं हटाया जा सकता।

दो साल से पहले हटाने का निर्णय गठित राज्य स्तरीय सिविल सेवा बोर्ड करेगा

केंद्र हो या फिर राज्य सरकार, आईएएस और आईपीएस अफसरों को दो साल से पहले किसी भी पद से नहीं हटा पाएंगी। केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण मंत्रालय (डीओपीटी) ने अखिल भारतीय सेवा के अफसरों की पोस्टिंग के संबंध में नए नियम लागू कर दिए हैं। इनके मुताबिक दो साल से पहले इन सेवाओं के अफसरों को हटाना है तो इसका निर्णय राज्य स्तरीय सिविल सेवा बोर्ड करेगा। राज्य सरकारों से कहा गया है कि जल्दी से जल्दी बोर्ड का गठन करें। नियमों के दायरे में आईएफएस (वनसेवा) अफसरों को भी रखा गया है।

उच्च प्रशासनिक अधिकारीयों को फिक्स्ड टर्म से पहले हटाने की सिफारिश की हर तीन माह में केंद्र को रिपोर्ट भेजेगा बोर्ड

इन अफसरों की पोस्टिंग और ट्रांसफर के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक राज्य स्तरीय सिविल सेवा बोर्ड का गठन होगा। यह पोस्टिंग की सिफारिश राज्य सरकार से करेगा। हालांकि सक्षम अधिकारी ठोस कारण देकर बोर्ड की अनुशंसा को ख़ारिज कर सकता है। बोर्ड हर तीन माह में केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट भी भेजेगा। जिसमें उन अफसरों के संबंध में पूरा विवरण होगा, जिन्हें फिक्स्ड टर्म से पहले हटाने की सिफारिश की गई है।

गौरतलब है कि अधिकारियों के बार-बार और समय से पहले तबादले से किसी क्षेत्र के विकास, सुरक्षा और अन्य प्रशासनिक गतिविधियों पर गंभीर असर पड़ता है। चाहे किसी भी राजनीतिक दल की सरकार हो, समय से पूर्व ट्रांसफर की प्रक्रिया एक आम बात हो गई है। कई बार तो अधिकारी एक साल के भीतर ही स्थानांतरित कर दिए जाते हैं, जिससे विकास कार्यों की गति प्रभावित होती है और प्रशासनिक व्यवस्था कमजोर हो जाती है।

अधिकारियों को काम करने का मौका नहीं मिलता

जब कोई अधिकारी किसी क्षेत्र में कार्यभार संभालता है, तो उसे उस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, वहां की समस्याओं और लोगों की जरूरतों को समझने में समय लगता है। इसके बाद ही वह सरकार की योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचा सकता है और विकास कार्यों को गति दे सकता है। लेकिन, बार-बार ट्रांसफर की वजह से अधिकारी को यह अवसर नहीं मिल पाता, जिससे उसका कार्य अधूरा रह जाता है।

विकास पर पड़ता है नकारात्मक असर

अधिकारियों की समय से पहले ट्रांसफर-पोस्टिंग से विकास परियोजनाएं प्रभावित होती हैं। किसी भी परियोजना की निरंतरता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि अधिकारी को पूरा समय मिले। जब अधिकारी बार-बार बदलते हैं, तो उन्हें क्षेत्र और परियोजनाओं की जमीनी जानकारी जुटाने में समय लग जाता है, जिससे काम में देरी होती है और जनता की अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पाती हैं।

सरकार की विश्वसनीयता पर पड़ता है असर

जनता सरकार से विकास और प्रशासन में सुधार की उम्मीद करती है। लेकिन अधिकारियों की अनावश्यक ट्रांसफर प्रक्रिया से विकास योजनाएं प्रभावित होती हैं और जनता का भरोसा सरकार से कम होने लगता है। राजनीतिक कारणों से होने वाले इन तबादलों से न तो राज्य का विकास हो पाता है, न ही जनता को अपेक्षित लाभ मिलता है।

समाधान की आवश्यकता

सरकारों को अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामलों में संतुलन बनाए रखना चाहिए। किसी अधिकारी को तबादले से पहले उसे पर्याप्त समय देना चाहिए, ताकि वह अपने कार्य को प्रभावी ढंग से पूरा कर सके और क्षेत्र का विकास सुनिश्चित कर सके।

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