डिजिटल डेस्क/ कोलकाता: आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची में गड़बड़ी और फर्जी नामों को शामिल करने के आरोपों पर चुनाव आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि मतदाता सूची संशोधन कार्य में किसी भी तरह का पक्षपात बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ अर्थ दंड भी लगाया जा सकता है।
हाल ही में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बूथ स्तरीय अधिकारियों (BLOs) को यह याद दिलाया था कि वे राज्य सरकार के कर्मचारी हैं, जिस पर भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने आपत्ति जताई। अधिकारी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि ममता बनर्जी BLOs पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं और उनके खिलाफ स्वतः संज्ञान लेने की मांग की।
इसी बीच केंद्रीय चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल सिविल सेवा के दो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। ये अधिकारी बारुईपुर और मयना इलाकों में चुनाव पंजीकरण अधिकारी थे और उन पर लॉग-इन संबंधी जानकारी साझा कर फर्जी नाम शामिल करने का आरोप है। प्राथमिक जांच में आरोप साबित होने के बाद, दोनों को सुनवाई के लिए समन किया गया था।
राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) का कार्यालय भी इस मामले में सक्रिय हो गया है। एक समीक्षा में 110 फर्जी मतदाताओं के नाम सामने आए हैं। सीईओ ने सभी जिला चुनाव अधिकारियों से 14 अगस्त तक रिपोर्ट मांगी है और इस मामले की जांच के लिए एक विशेष समिति के गठन का भी निर्देश दिया है। सियासी विश्लेषकों का मानना है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए आयोग का यह कदम बेहद महत्वपूर्ण है।