बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए एक्यूट एंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एईएस) और चमकी बुखार की विस्तृत समीक्षा की। इस बैठक में जिला कलेक्टर अभिलाषा शर्मा के नेतृत्व में सिविल सर्जन डॉ. अमृत किशोर, डीपीएम पवन कुमार समेत अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में बीमारी से निपटने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।
चमकी बुखार से बचाव के लिए ‘तीन धमकी’
स्वास्थ्य मंत्री ने प्रभावित क्षेत्रों के लोगों से अपील की कि वे ‘चमकी की तीन धमकी’ को याद रखें, जिससे बच्चों की जान बचाई जा सकती है:
- रात में भोजन जरूर कराएं – खाली पेट सोने से बीमारी का खतरा बढ़ सकता है।
- सुबह बच्चों को जगाकर देखें – बेहोशी की स्थिति में तुरंत कार्रवाई करें।
- तुरंत अस्पताल ले जाएं – 102 नंबर पर कॉल कर एंबुलेंस की सहायता लें।
स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के निर्देश
मंत्री ने सभी चिकित्सा पदाधिकारियों और स्वास्थ्य कर्मियों को इस बीमारी से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण देने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में जरूरी उपकरण, दवाएं, ऑक्सीजन और अन्य संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। साथ ही, टीकाकरण और जागरूकता अभियान को बढ़ाने पर भी जोर दिया गया।
चमकी बुखार से प्रभावित जिले
बिहार के कई जिले जेई (जापानी एंसेफ्लाइटिस) और एईएस (एक्यूट एंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) से प्रभावित हैं, जिनमें प्रमुख रूप से मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, वैशाली, दरभंगा, गोपालगंज, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, सारण, सीवान, शिवहर, गया, नालंदा, औरंगाबाद, नवादा, जहानाबाद शामिल हैं।
सरकार ने सभी जिलों को अलर्ट मोड पर रखते हुए, एडवायजरी जारी कर पूरी सतर्कता बरतने का निर्देश दिया है। उचित समय पर इलाज मिलने से बच्चे पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। इसलिए समय पर लक्षणों को पहचानें और सतर्क रहें।