मिरर मीडिया : भारत की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का मई में रांची दौरा होने वाली है इस दौरान सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये जाएंगे। बता दें कि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का आगामी 24 मई को रांची आगमन होने वाला है। जहाँ वे झारखंड उच्च न्यायालय के नए भवन का उद्घाटन करेगी।
जानकारी दे दें कि झारखंड उच्च न्यायालय का नए भवन 165 एकड़ में बना है। वहीं उच्च न्यायालय का नया भवन CCTV कैमरा सहित सभी उपकरण से लैस है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के कैंपस से भी साढ़े तीन गुणा ज्यादा क्षेत्रफल वाला झारखंड का तैयार नया हाईकोर्ट का लोकार्पण इसी माह होने की संभावना है। बता दें कि रांची में लगभग 600 करोड़ की लागत से बनकर तैयार झारखंड का नया हाईकोर्ट देश का सबसे बड़ा हाईकोर्ट कैंपस है।बता दें कि ग्रीन बिल्डिंग का क्षेत्रफल लगभग 10 लाख वर्ग फीट है।
कोर्ट के स्टेट ऑफ द आर्ट बिल्डिंग में एक चीफ जस्टिस कोर्ट रूम और 24 अन्य कोर्ट रूम के अतिरिक्त 576 एडवोकेट चैंबर भी हैं। इसके अलावा ग्राउंड फ्लोर में वरीय अधिवक्ताओं के बैठने के लिए 76 चेंबर बनाए गए हैं। इसमें एक बड़ा हॉल है, जिसमें दो हजार एडवोकेट बैठ सकते हैं। वहीं, दूसरे हॉल में 1000 एडवोकेट बैठ सकेंगे।
विदित हो कि राज्य सरकार ने हाई कोर्ट की न्यू बिल्डिंग के लिए वर्ष 2012 में 165 एकड़ जमीन हस्तांतरित की थी। इसमें से 72 एकड़ जमीन पर हाईकोर्ट बिल्डिंग समेत वकीलों के लिए आधारभूत संरचना तैयार की गयी है। गौरतलब है कि हाई कोर्ट के नये भवन का शिलान्यास सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर ने नौ फरवरी, 2013 को किया था जिसका बिल्डिंग का निर्माण 18 जून, 2015 से शुरू किया गया और आठ वर्षों में हाईकोर्ट का नया भवन बनकर तैयार हुआ है।
जानकारी के अनुसार झारखंड सरकार का भवन निर्माण विभाग आगामी तीन मई को आधिकारिक तौर पर हाई कोर्ट में इस परिसर का कार्य पूरा होने का प्रमाण पत्र जमा कर देगा। उम्मीद की जा रही है कि गर्मी की छुट्टियों के बाद मौजूदा हाईकोर्ट यहां स्थानांतरित हो जाएगा।
मुख्य बिल्डिंग में 25 भव्य और आकर्षक वातानुकूलित कोर्ट रूम बन कर तैयार हो गए है। 24 न्यायाधीशों के लिए तथा एक मुख्य न्यायाधीश के लिए कोर्ट रूम बनाया गया है। हर कोर्ट रूम में इजलास, न्यायाधीश का चेंबर, एंटी रूम और टॉयलेट और पीए का कमरा बनाया गया है। नए भवन में न्यायाधीशों के लिए अलग से लाइब्रेरी की व्यवस्था की गई है। इसमें कानून से संबंधित लगभग पांच लाख किताबों को रखने की आधुनिक व्यवस्था की गई है।

