पटना। राज्य सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए एक अहम कदम उठाया है। अब बिहार के सभी निजी विद्यालयों को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा तय किए गए मानकों को पूरा करना अनिवार्य होगा। राज्य में संचालित करीब 40 हजार निजी विद्यालयों के लिए अब सीबीएसई मान्यता पाने के लिए पंजीकरण के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और बुनियादी ढांचे की कसौटी पर खरा उतरना होगा।
शिक्षा विभाग ने बीते वर्ष इन विद्यालयों से ऑनलाइन आवेदन मांगे थे, जिसमें 23,456 स्कूलों ने आवेदन किया था। अब इन स्कूलों की जांच की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। यह जांच न सिर्फ पढ़ाई की गुणवत्ता की होगी, बल्कि भवन, प्रयोगशालाएं, शौचालय, खेल मैदान जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर की भी गहन जांच की जाएगी।
जांच के लिए जिला स्तर पर टीम गठित
CBSE की ओर से स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर की जांच का जिम्मा राज्य सरकार को सौंपे जाने के बाद अब जिला स्तर पर जांच टीमें गठित की जा रही हैं। इन टीमों का नेतृत्व जिलाधिकारी या उप विकास आयुक्त करेंगे, जिनमें संबंधित जिले के जिला शिक्षा अधिकारी भी शामिल होंगे। निजी स्कूलों को इसके लिए अनिवार्य रूप से जिला शिक्षा पदाधिकारी से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) प्राप्त करना होगा।
पारदर्शिता के लिए ऑनलाइन रिपोर्टिंग
पूरी जांच प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए रिपोर्ट पोर्टल पर सार्वजनिक की जाएगी। पहले की व्यवस्था में CBSE और राज्य, दोनों स्तर पर जांच होती थी, जिससे वर्षों लग जाते थे। अब नए नियमों के तहत CBSE स्कूलों के सिर्फ “लर्निंग आउटकम” यानी शिक्षा परिणामों पर फोकस करेगा।
इसके तहत शिक्षकों की योग्यता, प्रशिक्षण, वेतन, प्रयोगशालाओं की स्थिति और विद्यार्थियों के सीखने के स्तर की गहन समीक्षा की जाएगी।
गुणवत्ता आधारित मान्यता और निरंतर निगरानी
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि अब विद्यालयों को सिर्फ बुनियादी ढांचे के आधार पर नहीं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता के आधार पर मान्यता दी जाएगी। यह मान्यता स्कूलों को प्रतिष्ठा प्रदान करेगी और अभिभावकों के लिए गुणवत्तापूर्ण स्कूलों की पहचान आसान बनाएगी।
जांच के बाद भी विद्यालयों पर निरंतर निगरानी रखी जाएगी और यदि कोई स्कूल तय मानकों का पालन नहीं करता है तो उसकी मान्यता रद्द करने की कार्रवाई भी की जा सकती है।