दिल्ली में निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मंगलवार को “दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस एक्ट 2025” के नाम से एक नया अध्यादेश पारित किया गया। इसे अब उपराज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा।
📌 क्या है यह नया फीस एक्ट?
यह नया एक्ट दिल्ली के सभी 1,677 निजी और सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूलों पर लागू होगा। इसका उद्देश्य स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वृद्धि पर रोक लगाना और अभिभावकों को पारदर्शी प्रणाली देना है। एक्ट लागू होने के बाद फीस में बढ़ोतरी हर तीन साल में एक बार ही की जा सकेगी, वो भी सरकार द्वारा तय किए गए 18 पैरामीटर्स जैसे स्कूल का ढांचा, शैक्षणिक गुणवत्ता आदि के आधार पर।
🔍 क्यों पड़ी इस कानून की ज़रूरत?
बीते वर्षों में दिल्ली में लगातार निजी स्कूलों पर मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने के आरोप लगते रहे हैं। डीपीएस द्वारका जैसे कई मामलों ने इस मुद्दे को सार्वजनिक चर्चा का विषय बना दिया। मौजूदा DSEAR 1973 कानून में फीस नियंत्रण के स्पष्ट नियम नहीं थे। दिल्ली सरकार ने पहले एक सर्कुलर के ज़रिए नियंत्रण की कोशिश की थी, लेकिन 2024 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी, जिससे अभिभावकों की परेशानी और बढ़ गई थी।
🏫 कैसे काम करेगा यह नया एक्ट?
फीस बढ़ोतरी: केवल तीन साल में एक बार।
फीस निर्धारण के मानक: कुल 18 पैरामीटर्स तय किए गए हैं।
त्रि-स्तरीय कमेटी व्यवस्था: फीस तय करने के लिए स्कूल, जिला और राज्य स्तर पर तीन स्तरों की समितियाँ बनाई जाएंगी।
अभिभावकों की भागीदारी: इन समितियों में अभिभावकों को भी शामिल किया जाएगा।
⚖️ क्या होंगे दंड के प्रावधान?
इस कानून में नियम तोड़ने पर कड़े प्रावधान शामिल किए गए हैं। यदि कोई स्कूल इसका उल्लंघन करता है, तो:
₹1 लाख से ₹10 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
बार-बार उल्लंघन पर मान्यता रद्द की जा सकती है।
शिक्षा निदेशक को जांच का अधिकार होगा – वे स्कूल के खातों और रिकॉर्ड्स की जांच कर सकेंगे।
ज़रूरत पड़ने पर सरकार स्कूल की संपत्ति कुर्क कर सकती है, बेच सकती है या रिसीवर नियुक्त कर सकती है।
👨👩👧👦 अभिभावकों को क्या होगा फायदा?
- आर्थिक राहत: अब हर साल नहीं, बल्कि हर तीन साल में एक बार ही फीस बढ़ेगी।
- पारदर्शिता: फीस तय करने की प्रक्रिया में अभिभावकों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है।
- बच्चों की सुरक्षा: फीस विवाद होने पर स्कूल अब बच्चों को शिक्षा से वंचित नहीं कर सकेंगे।
- अन्य खर्चों पर नियंत्रण: किताबें, यूनिफॉर्म और ट्रांसपोर्ट जैसी चीज़ों के शुल्क भी नियंत्रित होंगे।
🚫 किन बिंदुओं पर हो रहा है विवाद?
- जटिल प्रक्रिया: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि त्रि-स्तरीय कमेटी बनाना ज़रूरत से ज़्यादा जटिल है। एक ही सशक्त कमेटी पर्याप्त हो सकती थी।
- शिकायत दर्ज करना कठिन: आम आदमी पार्टी (AAP) का आरोप है कि शिकायत दर्ज करने के लिए किसी अभिभावक को कम से कम 15% अन्य अभिभावकों का समर्थन जुटाना होगा – जो व्यावहारिक नहीं है।
- राजनीतिक मतभेद: भाजपा ने इसे शिक्षा माफियाओं पर रोक लगाने वाला कानून बताया है, वहीं आप पार्टी ने इसे अभिभावकों के अधिकारों पर “लगाम” कह कर आलोचना की है।