धनबाद के प्रखंड अंचल कार्यालयों में इन दिनों बिचौलियों का दबदबा बढ़ गया है, जिससे भ्रष्टाचार चरम पर है। प्रमाण पत्र से लेकर जमीन के म्यूटेशन जैसे कामों के लिए आवेदकों को कार्यालय का लगातार चक्कर लगाना पड़ रहा है।
बाघमारा अंचल में रिश्वतखोरी का मामला
बाघमारा अंचल में जमीन का म्यूटेशन कराने के लिए रैयतधारी कन्हैया सिंह पिछले एक साल से प्रयास कर रहे हैं। लेकिन उनकी 7 डिसमिल जमीन का म्यूटेशन अब तक नहीं हो पाया। कन्हैया सिंह का आरोप है कि हल्का 10 के कर्मचारी विनोद सिन्हा ने म्यूटेशन के बदले 8 हजार रुपये रिश्वत की मांग की थी। इस रिश्वत मांगने की बातचीत का ऑडियो कन्हैया सिंह ने अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया।
ऑडियो सबूत के आधार पर उन्होंने तत्कालीन अंचल अधिकारी (सीओ) रविभूषण और वर्तमान सीओ बालकिशोर महतो को शिकायत की और कार्रवाई के साथ जमीन का म्यूटेशन कराने की गुहार लगाई।
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रिश्वतखोर कर्मचारी का प्रमोशन
कन्हैया सिंह की शिकायत के बावजूद न केवल उनकी जमीन का म्यूटेशन रुका हुआ है, बल्कि रिश्वत मांगने वाले हल्का कर्मचारी विनोद सिन्हा को प्रमोशन देकर अंचल निरीक्षक बना दिया गया। इससे निराश होकर कन्हैया सिंह ने रिश्वत मांगने वाले ऑडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। हालांकि, मिरर मीडिया ने वायरल ऑडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं की है।
पीड़ित रैयत का दर्द
कन्हैया सिंह ने बताया कि उन्होंने 19 जनवरी 2024 को बाघमारा अंचल कार्यालय में म्यूटेशन के लिए आवेदन किया था। उनकी माँ इंदु कुमारी के नाम पर बड़ा पांडेडीह मौजा के खाता नंबर 17, प्लॉट नंबर 453 में 7 डिसमिल जमीन है। बावजूद इसके, एक साल से कार्यालय का चक्कर लगाने के बाद भी उनका म्यूटेशन नहीं हो पाया।
उन्होंने तत्कालीन सीओ रविभूषण को रिश्वत मांगने का सबूत सौंपा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। सीओ का तबादला हो गया, और अब नए सीओ बालकिशोर महतो के सामने शिकायत की गई, लेकिन न तो जमीन का म्यूटेशन हुआ और न ही रिश्वत मांगने वाले कर्मचारी पर कार्रवाई हुई।
सीओ का बयान
सीओ बालकिशोर महतो ने वायरल ऑडियो को पुराना बताते हुए कहा कि यह उनके संज्ञान में नहीं है। उन्होंने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी, इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
आगे की कार्रवाई की मांग
पीड़ित रैयत का कहना है कि यदि उनकी जमीन का म्यूटेशन नहीं होता है तो वे वरीय अधिकारियों से गुहार लगाएँगे। वहीं, धनबाद अंचल कार्यालय में भ्रष्टाचार और अधिकारियों की उदासीनता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।