हजारीबाग/बड़कागांव: एनटीपीसी का एशिया में सबसे बड़ा कहा जाने वाला कन्वेयर बेल्ट एक बार फिर विवादों की चपेट में है। हजारीबाग के बड़कागांव से बानादाग कोल साइडिंग तक कोयला ढुलाई के लिए उपयोग किए जा रहे इस कन्वेयर बेल्ट के खिलाफ स्थानीय ग्रामीण, रैयत और ट्रांसपोर्टर लामबंद हो गए हैं। सैकड़ों की संख्या में आंदोलनकारी दो दिवसीय धरना प्रदर्शन पर बैठे हैं और एनटीपीसी प्रबंधन से हाइवा ट्रांसपोर्टिंग बहाल करने की मांग कर रहे हैं।
एशिया का सबसे बड़ा कन्वेयर बेल्ट बना ग्रामीणों की नींद का दुश्मन
ग्रामीणों का आरोप है कि कन्वेयर बेल्ट के लगातार संचालन से दिन-रात तेज आवाज होती है, जिससे स्थानीय लोगों की नींद और बच्चों की पढ़ाई दोनों प्रभावित हो रही है। वृद्ध और बीमार लोग भी इस शोरगुल से परेशान हैं। दूसरी ओर, कन्वेयर बेल्ट की वजह से हाईवा ट्रकों से कोयला ढुलाई लगभग बंद हो गई है, जिससे ट्रांसपोर्टरों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है।

550 हाइवा खड़ी
जानकारी के मुताबिक, करीब 550 हाईवा पहले कोयले की ढुलाई में लगे थे, लेकिन अब ज्यादातर गाड़ियां खड़ी हो गई हैं। गाड़ी मालिक ईएमआई चुकाने में असमर्थ हो रहे हैं और उनके सामने रोज़गार का संकट खड़ा हो गया है। ट्रांसपोर्टर संगठनों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे और बड़ा आंदोलन करेंगे।
एनटीपीसी प्रबंधन की दलील
पिछले दिनों पकरी बरवाडीह परियोजना के तत्कालीन प्रमुख फैज तैयब ने बताया था कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के निर्देश के तहत अब खदान से निकले कोयले को कन्वेयर बेल्ट से ही भेजा जाना है। बड़कागांव खदान से बानादाग तक की 22 किलोमीटर दूरी के लिए यह प्रणाली अधिक पर्यावरणीय रूप से अनुकूल है।
प्रबंधन के अनुसार, कन्वेयर बेल्ट से कोयला ढुलाई से धूल और प्रदूषण में भारी कमी आएगी तथा परिवेश को नुकसान से बचाया जा सकेगा। हालांकि अस्थायी रूप से 1 अप्रैल 2025 से 3 मिलियन मीट्रिक टन कोयला सड़क मार्ग से भी भेजा जाएगा।