डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर: औद्योगिक नगरी जमशेदपुर में प्रदूषण, धूल, भीषण ट्रैफिक जाम और लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाओं से त्रस्त स्थानीय निवासियों का गुस्सा अब फूट पड़ा है। शहर में दो अलग-अलग महत्वपूर्ण आंदोलनों की घोषणा की गई है, जो स्पष्ट रूप से स्थानीय प्रबंधन और कंपनी के ढुलमुल रवैये के खिलाफ बढ़ते जन आक्रोश को दर्शाते हैं।
14 दिसंबर को मुख्य गेट पर ‘आर-पार की लड़ाई’
बर्मामाइंस और आस-पास के क्षेत्रों की बदहाल स्थिति से परेशान ‘बस्ती बचाओ संघर्ष समिति’ ने निर्णायक कार्रवाई का मन बना लिया है।
विरोध की तिथि: शनिवार, 14 दिसंबर।
रणनीति: टाटा कंपनी के दोनों मुख्य गेट को जाम कर विशाल धरना और प्रदर्शन।
मुख्य मुद्दे:
बर्मामाइंस और आस-पास के क्षेत्रों में धूल-धुएं और बढ़ता प्रदूषण।लगातार हो रही सड़क दुर्घटनाएं और कंपनी द्वारा हो रही अवैध पार्किंग और भीषण सड़क जाम।
स्थानीय लोगों का कहना है कि इन समस्याओं ने उनका ‘जीना दूभर’ कर दिया है। यह फैसला बर्मामाइंस शिव मंदिर प्रांगण में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया, जिसमें विभिन्न बस्तियों के प्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने भाग लिया।
‘टाटा जी से अनुमति’ लेकर आंदोलन का शंखनाद
इसी बीच, शहर में एक और प्रतीकात्मक और महत्वपूर्ण आंदोलन की तैयारी चल रही है, जिसकी अगुवाई भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रामबाबू तिवारी कर रहे हैं। बुधवार 11 दिसंबर को सुबह 9 बजे बिष्टुपुर पोस्टल पार्क में आंदोलन की शुरुआत एक अनूठे तरीके से होगी। उद्योग जगत के पितामह जेएन टाटा जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण। प्रतिमा के समक्ष आधा घंटे का मौन व्रत और ‘टाटा जी से ‘अनुमति’ लेकर आंदोलन का औपचारिक शंखनाद।
रामबाबू तिवारी ने इस विरोध को व्यापक समर्थन देने के लिए बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और विभिन्न राजनीतिक दलों से अपील की है। इस प्रतीकात्मक शुरुआत को शहर के संरक्षक से समर्थन लेने के रूप में देखा जा रहा है, जो यह दर्शाता है कि यह विरोध केवल कंपनी के खिलाफ नहीं, बल्कि संस्थापकों के आदर्शों से भटके हुए प्रबंधन के खिलाफ है।
इन दोनों आंदोलनों से यह स्पष्ट है कि जमशेदपुर के स्थानीय निवासी अब अपनी समस्याओं को नजरअंदाज करने के लिए तैयार नहीं हैं और प्रबंधन को जल्द ही इन गंभीर मुद्दों का समाधान करना होगा।

