Bihar : IRCTC घोटाले में राबड़ी देवी ने की जज बदलने की मांग, जानें क्या है पूरा मामला

Neelam
By Neelam
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बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने दिल्ली के राउज़ एवेन्यू कोर्ट में एक याचिका दायर की है। जिसमें उनके और लालू प्रसाद यादव परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ मामलों की सुनवाई कर रहे जज को बदलने की मांग की गई है। उन्होंने अनुरोध किया है कि उनका केस जज विशाल गोगने की कोर्ट से दूसरे जज को ट्रांसफर कर दिया जाए। 

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में एक नई याचिका दाखिल आईआरसीटीसी टेंडर घोटाला मामले की सुनवाई कर रहे जज विशाल गोगने को बदलने की मांग की है। बताया जा रहा है कि राबड़ी देवी इस मामले में जज विशाल गोगने के रुख से संतुष्ट नहीं हैं। यही वजह है कि उन्होंने इन मामलों को किसी अन्य न्यायाधीश को हस्तांतरित करने की मांग की है। जानकारी के मुताबिक, इस अर्जी पर मंगलवार (25 नवंबर) को सुनवाई संभव है।

पूर्वाग्रह के साथ कार्रवाई का आरोप लगाया

राबड़ी देवी का आरोप है कि न्यायाधीश विशाल गोगने उनके और उनके परिवार के खिलाफ पूर्वाग्रह के साथ कार्रवाई कर रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि जज अभियोजन पक्ष के प्रति झुकाव रखते हैं और जिस तरह से सुनवाई और आदेश पारित किए गए हैं, उससे निष्पक्ष न्याय की संभावना खतरे में पड़ती दिख रही है। गोगने की कोर्ट अभी आईआरसीटीसी स्कैम केस, नौकरी के बदले ज़मीन केस और लालू यादव परिवार से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस की सुनवाई कर रही है। इसी कोर्ट ने हाल ही में लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और इन मामलों में दूसरे आरोपियों के खिलाफ क्रिमिनल चार्ज तय किए हैं।

लालू के साथ राबड़ी और तेजस्वी भी आरोपी

बता दें कि इस मामले में लालू यादव और तेजस्वी यादव भी आरोपी हैं। अक्टूबर महीने में ही जज विशाल गोगने ने इस मामले में लालू यादव, राबड़ी और तेजस्वी यादव समेत अन्य आरोपियों को दोषी मानते हुए आरोप तय किए थे। कोर्ट ने उस दौरान कहा था कि लालू यादव की जानकारी में ही यह साजिश रची गई और उनके परिवार को सीधे तौर पर आर्थिक लाभ पहुंचाया गया। कोर्ट ने इस मामले की हर रोज सुनवाई करने के आदेश दिए थे।

रोजाना सुनवाई के खिलाफ भी दायर की थी याचिका

रोजाना सुनवाई के खिलाफ लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने एक याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। न्यायाधीश विशाल गोगने ने अपने आदेश में कहा था कि ट्रायल कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में यह आता है कि वह मामलों की लिस्टिंग, सुनवाई की तारीखें और उनकी निरंतरता का फैसला करे। यह प्रक्रिया मामले की प्रकृति, आरोपों की गंभीरता, आरोपियों और गवाहों की संख्या सहित कई परिस्थितियों को ध्यान में रखकर तय की जाती है।

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