धनबाद नगर निगम ने जल कर (वाटर टैक्स) की बकाया वसूली के लिए कड़ा रुख अपनाया है। निगम के आंकड़ों के अनुसार, शहर में कुल 38,000 उपभोक्ता ऐसे हैं, जिनके पास वैध जल कनेक्शन हैं, लेकिन इनमें से केवल 22,000 उपभोक्ता ही नियमित रूप से वाटर टैक्स का भुगतान कर रहे हैं। 16,000 उपभोक्ताओं ने वर्षों से जल कर नहीं चुकाया, जिससे नगर निगम को भारी वित्तीय नुकसान हो रहा है।
रेलवे पर सबसे बड़ा बकाया
नगर निगम के अनुसार, धनबाद रेल मंडल पर 13 करोड़ रुपये का जल कर बकाया है। इसके अलावा, BIT सिंदरी पर 4 करोड़ रुपये, एवं शांति भवन क्षेत्र पर 17.50 लाख रुपये का बकाया है। यानि 1130 उपभोक्ताओं पर लगभग 25 करोड़ की राशि बकाया हैं।
नगर निगम ने सख्त कार्रवाई करते हुए 50,000 से अधिक बकायेदारों को नोटिस भेजा है और सात दिनों के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया है। यदि समय पर भुगतान नहीं किया गया, तो निगम कठोर कदम उठा सकता है, जिसमें जल आपूर्ति बाधित करना या अन्य कानूनी कार्रवाई शामिल हो सकती है। इसके लिए नगर निगम ने 28 फ़रवरी को एक बैठक रखी हैं जिसके बाद ही आगे की कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा।
2015 के बाद बिना जांच-पड़ताल हुए जल कनेक्शन
जानकारी के अनुसार, 2015 के बाद बिना किसी उचित जांच के हजारों उपभोक्ताओं को जल कनेक्शन दे दिए गए। कई उपभोक्ताओं ने अपने पुराने भवनों को तोड़कर नए भवन बनाए और फिर नए आधार पर जल कनेक्शन प्राप्त कर लिया, जिससे नगर निगम की जल कर व्यवस्था पर दबाव बढ़ गया।
1.5 प्रतिशत मासिक ब्याज के साथ वसूली
नगर निगम ने यह भी स्पष्ट किया कि जो उपभोक्ता लगातार जल कर का भुगतान नहीं कर रहे हैं, उनसे 1.5 प्रतिशत प्रतिमाह के हिसाब से ब्याज सहित बकाया वसूला जाएगा।
निगम के अधिकारियों की जांच के आसार
जल कर की इस अनियमितता को देखते हुए नगर निगम के कई अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। यदि मामले की गहराई से जांच हुई, तो कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
क्या होगी अगली कार्रवाई?
नगर निगम ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे समय पर जल कर का भुगतान करें। यदि बकाया जल्द जमा नहीं किया गया, तो निगम जल आपूर्ति रोकने जैसी सख्त कार्रवाई कर सकता है। रेलवे और अन्य बड़े बकायेदारों को चेतावनी दी गई है कि यदि वे सात दिनों के भीतर बकाया नहीं चुकाते, तो उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।