डिजिटल डेस्क, जमशेदपुर : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास के साथ जमशेदपुर और पूरे झारखंड में रक्षाबंधन का पर्व 9 अगस्त को पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया।

भाई-बहन के अटूट बंधन का यह त्योहार पर्यावरण संरक्षण, देशभक्ति और सामाजिक एकता के रंगों में रंगा नजर आया। विभिन्न समुदायों और संगठनों ने अनूठी पहलों के साथ इस पर्व को यादगार बनाया।

जमशेदपुर में पर्यावरण के लिए राखी
जमशेदपुर के चाकुलिया में आदिवासी महिलाओं ने अपनी 20 साल पुरानी परंपरा को कायम रखते हुए जंगल के पेड़ों को राखी बांधी। जमुना टुडू के नेतृत्व में महिलाओं ने पेड़ों को भाई मानकर उनकी आरती उतारी और रक्षा का संकल्प लिया। एक महिला ने कहा ‘पेड़ हमारी सांसे हैं, उनकी रक्षा हमारा कर्तव्य है।’ यह पहल पर्यावरण जागरूकता के साथ आदिवासी संस्कृति की गहराई को दर्शाती है।

गोबर की राखी ने बटोरी वाहवाही
इस बार जमशेदपुर के बाजारों में गोबर से बनी पर्यावरण-अनुकूल राखियों ने खूब सुर्खियां बटोरीं। ये राखियां न केवल स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहन दे रही हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी फैला रही हैं। रंग-बिरंगी और स्टोन वर्क वाली राखियों के साथ इनकी भी भारी मांग देखी गई।
सैनिकों के लिए ‘रक्षाबंधन हमारे वीरों के नाम‘
आदित्यपुर में एनएसएस एनआईटी जमशेदपुर ने ‘रक्षाबंधन हमारे वीरों के नाम’ अभियान के तहत देश की सीमाओं पर तैनात सैनिकों के लिए 120 राखियां भेजी। इस पहल में छात्राओं और संस्थान की 45 संकाय सदस्यों की पत्नियों ने हिस्सा लिया। यह अभियान सैनिकों के प्रति कृतज्ञता और प्रेम का प्रतीक बना।
रघुवर दास के साथ रक्षाबंधन की रौनक
रघुवर दास ने जमशेदपुर में अपनी बहनों के साथ रक्षाबंधन का पर्व मनाया। सैकड़ों बहनों ने उनकी कलाई पर राखी बांधी और नारी सशक्तिकरण का संदेश दिया। दास ने कहा ‘रक्षाबंधन भाई-बहन के प्यार के साथ-साथ समाज में नारी शक्ति को बढ़ाने का अवसर है।’ उनकी मौजूदगी ने उत्सव को और खास बना दिया।
कोर्ट से लेकर समुदाय तक उत्साह
जमशेदपुर कोर्ट में अधिवक्ताओं को राखी बांधी गई, वहीं आदित्यपुर के सालडीह बस्ती में गोराई (तेली) कुलु समाज कल्याण केंद्रीय समिति ने सामुदायिक उत्सव का आयोजन किया। ब्रह्माकुमारी हल्दीपोखर शाखा ने भी समाज के गणमान्य लोगों की उपस्थिति में इस पर्व को धूमधाम से मनाया। रक्षाबंधन का यह पर्व जमशेदपुर और झारखंड में भाई-बहन के प्रेम के साथ-साथ पर्यावरण, देशभक्ति और सामाजिक एकता का प्रतीक बना। रघुवर दास की उपस्थिति और अनूठी पहलों ने इस त्योहार को और भी यादगार बना दिया।