
Ranchi News: पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ बोर्ड बिल को लेकर भड़की हिंसा के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। झारखंड की पूर्व विधायक अंबा प्रसाद ने इस मुद्दे पर तीखा बयान देते हुए राज्य और केंद्र सरकार, दोनों को आड़े हाथों लिया है। मीडिया से बातचीत में अंबा प्रसाद ने कहा कि वक्फ बोर्ड से जुड़ा यह बिल न सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय में भ्रम और असुरक्षा की भावना को बढ़ा रहा है, बल्कि इससे सामाजिक ताने-बाने पर भी असर पड़ रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारें संवेदनशील मुद्दों पर संवाद की जगह ताकत और दबाव की राजनीति कर रही हैं, जिससे हिंसा और कट्टरता को बढ़ावा मिल रहा है।
“देश में धार्मिक कट्टरता और संविधान के प्रति लापरवाही बढ़ती जा रही है। केंद्र और राज्य दोनों सरकारें वक्फ जैसे संवेदनशील विषय पर पारदर्शिता और जिम्मेदारी से काम करने के बजाय, लोगों की भावनाओं से खेल रही हैं। यह न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि देश की सामाजिक एकता को भी खतरे में डालता है। “उन्होंने यह भी कहा कि सरकारों को चाहिए कि वे विवादित कानूनों को लागू करने से पहले व्यापक चर्चा और जनभागीदारी सुनिश्चित करें।
झारखंड के मंत्री हफिजुल हसन के इस बयान कि “शरीयत दिल में है, संविधान हाथ में” इसपर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए अंबा प्रसाद ने कहा कि ऐसे बयान न सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना ही नहीं हैं, बल्कि समाज में नफरत को बढ़ावा भी देते हैं।
वक्फ बोर्ड बिल को लेकर विपक्षी दल जहां इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बता रहे हैं, वहीं सत्ताधारी दलों का कहना है कि यह कदम संपत्ति की पारदर्शी निगरानी और उपयोग के लिए आवश्यक है। मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा के बाद यह मुद्दा अब पूरे देश में चर्चा का विषय बनता जा रहा है।
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