प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ हो चुका है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस ऐतिहासिक आयोजन को देश और दुनिया के लोगों के लिए एक शानदार अवसर बताया। उन्होंने कहा कि यह महाकुंभ भारत की समृद्ध आध्यात्मिक विरासत को जानने और समझने का एक अनोखा माध्यम है। इस आयोजन में श्रद्धालु संतों के मार्गदर्शन में भारतीय संस्कृति और धर्म की गहराइयों को महसूस करेंगे।
45 दिन चलेगा महाकुंभ, 40 करोड़ श्रद्धालुओं की उम्मीद
13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाले इस महाकुंभ में करीब 40 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। योगी आदित्यनाथ ने इसे अद्वितीय बताया और कहा कि इतने बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं की भागीदारी केवल भारत जैसे देश में ही संभव है।
विशेष मुहूर्त और ऐतिहासिक महत्व
मुख्यमंत्री ने महाकुंभ को विशेष बताते हुए कहा कि यह आयोजन 144 वर्षों के बाद एक दुर्लभ मुहूर्त में हो रहा है। उन्होंने श्रद्धालुओं से मकर संक्रांति के दिन बाबा गोरखनाथ में खिचड़ी चढ़ाने और फिर महाकुंभ में स्नान करने की अपील की।
आध्यात्मिक स्थलों का निर्माण और आकर्षण
महाकुंभ में इस बार कई विशेष संरचनाओं का निर्माण किया गया है, जिनमें अक्षय वट कॉरिडोर, मां सरस्वती कॉरिडोर, बड़े हनुमान मंदिर, महर्षि व्यास और भगवान राम-निषादराज कॉरिडोर प्रमुख हैं। श्रद्धालु नाग वासुकी, द्वादश ज्योतिर्लिंग और चार धाम की यात्रा का भी आनंद ले सकेंगे।
श्रद्धालुओं का संगम में स्नान और अमृत स्नान का महत्व
महाकुंभ के दौरान श्रद्धालुओं को गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम में स्नान करने का सौभाग्य मिलेगा। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस पवित्र स्नान से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी को आयोजित किया जाएगा।
10,000 एकड़ में फैला आयोजन क्षेत्र
इस बार महाकुंभ का आयोजन 10,000 एकड़ के विशाल क्षेत्र में किया जा रहा है। आयोजन की शुरुआत से पहले ही 35 लाख श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच चुके हैं।
श्रद्धालुओं में उत्साह, आध्यात्मिकता का माहौल
पौष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान कर रहे हैं। हिंदू धर्म के सबसे बड़े धार्मिक उत्सव को लेकर श्रद्धालुओं के बीच उत्साह का माहौल है। महाकुंभ का यह आयोजन न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी बेहद खास है।