नई दिल्ली/रतलाम। प्रधानमंत्री गति शक्ति मास्टर प्लान के अंतर्गत रतलाम-नागदा रेलखंड की तीसरी और चौथी लाइन को स्वीकृति मिलने के बाद इस क्षेत्र में विकास की नई धारा बहने जा रही है। रेलवे भवन, नई दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ़्रेंस में केंद्रीय रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस परियोजना की औपचारिक घोषणा की।
इस मौके पर उज्जैन-अलोट के सांसद अनिल फिरोजिया मंच पर मौजूद रहे, जबकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उनके साथ राज्य के मंत्री चेतन्य कश्यप, सांसद अनीता नागर सिंह चौहान, विधायक मथुरा लाल डामर और डॉ. तेज बहादुर सिंह चौहान भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े।
₹1,018 करोड़ की लागत से बनेगी तीसरी-चौथी लाइन
रेल मंत्री वैष्णव ने बताया कि यह परियोजना मध्य प्रदेश के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। 41 किलोमीटर लंबे इस रेलखंड को तीसरी और चौथी लाइन से जोड़ने पर ₹1,018 करोड़ की लागत आएगी। रतलाम जंक्शन पहले से ही उत्तर (नागदा), दक्षिण (वडोदरा), पूर्व (इंदौर) और पश्चिम (चित्तौड़गढ़) की ओर चारों दिशाओं में रेल संपर्क से जुड़ा हुआ है, जिससे यह परियोजना और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
दिल्ली, यूपी और मध्यप्रदेश को मिलेगा बंदरगाहों से तेज कनेक्शन
इस परियोजना से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और दिल्ली को पश्चिमी तट के प्रमुख बंदरगाहों से तेज और निर्बाध कनेक्टिविटी मिलेगी। इससे लॉजिस्टिक लागत में भारी कमी आएगी और व्यापारिक गतिविधियों को बल मिलेगा।
38 करोड़ किलो CO₂ की बचत, 1.5 करोड़ पेड़ों जितना पर्यावरणीय लाभ
रेल मंत्री ने बताया कि यह परियोजना ‘जीरो कार्बन’ लक्ष्य की ओर एक ठोस कदम है। इससे हर साल करीब 38 करोड़ किलो कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन की बचत होगी, जो लगभग 1.5 करोड़ पेड़ों के बराबर है। साथ ही 7.5 करोड़ लीटर डीजल की खपत में कमी आएगी।
27 लाख मानव-दिवस का रोजगार और उद्योगों को नई रफ्तार
इस परियोजना से निर्माण कार्य के दौरान लगभग 27 लाख मानव-दिवस का रोजगार सृजित होगा। यह परियोजना नागदा थर्मल पावर प्लांट, विस्कोस फाइबर और केमिकल प्लांट जैसी औद्योगिक इकाइयों को बेहतर रेल कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। कृषि उपज, कोयला, कंटेनर और पेट्रोलियम उत्पादों की ढुलाई भी अब अधिक तेज और कुशल हो सकेगी।
पर्यटन को मिलेगा नया बल
परियोजना के माध्यम से खजुराहो, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, ओंकारेश्वर, सांची, उज्जैन, भोपाल, इंदौर, अमरकंटक और भीम जन्मभूमि जैसे प्रमुख पर्यटन स्थलों को जोड़ने में मदद मिलेगी। इससे मध्यप्रदेश के पर्यटन क्षेत्र को नई ऊंचाई मिलेगी।
नई ट्रेन सेवाएं भी होंगी शुरू
रेल मंत्री ने बताया कि हाल ही में दिल्ली से डॉ. अंबेडकर नगर के लिए नई ट्रेन सेवा शुरू की गई है। इसके साथ ही रीवा-सतना-जबलपुर-पुणे, जबलपुर-रायपुर और ग्वालियर-पुणे-भोपाल-बेंगलुरु रूट्स पर तीन नई ट्रेनों को मंजूरी दी जा चुकी है, जिनकी समय-सारणी भी तय हो गई है।
“मध्य प्रदेश का स्वर्णकाल चल रहा है” – मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह सिर्फ एक रेलवे परियोजना नहीं, बल्कि विकास के एक नए युग की शुरुआत है। यह कदम प्रदेश को आत्मनिर्भर और आधुनिक बुनियादी ढांचे की दिशा में अग्रसर करेगा।