नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल संशोधित झरिया मास्टर प्लान (जेएमपी) के प्रस्ताव को मंजूरी देने की तैयारी में है। जल्द ही कैबिनेट की बैठक में इस पर चर्चा होने और मंजूरी मिलने की संभावना है। झरिया मास्टर प्लान का उद्देश्य झारखंड के धनबाद में स्थित झरिया कोयला क्षेत्र में आग, भू-धंसान और पुनर्वास से जुड़ी समस्याओं को हल करना है। साल 2009 में इस मास्टर प्लान को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी थी, जिसके तहत अगले 10 वर्षों में इस पर कार्य करने का लक्ष्य था, लेकिन इसकी समय सीमा 2021 में समाप्त हो गई, और इसके बाद इसे आगे नहीं बढ़ाया गया। इसके परिणामस्वरूप पुनर्वास के कार्य में ठहराव आ गया था।
सूत्रों के मुताबिक, संशोधित झरिया मास्टर प्लान के तहत अब पुनर्वास कार्यों में उन क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी, जहां लोगों के जीवन पर सबसे अधिक खतरा मंडरा रहा है। पहले चरण में अत्यधिक जोखिम वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का पुनर्वास किया जाएगा और फिर अन्य क्षेत्रों में कम जोखिम वाले लोगों को पुनर्वासित किया जाएगा। इसके लिए कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) हर साल 500 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान करेगी। इसके अलावा, सीआईएल और उसकी सहायक कंपनी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) झरिया क्षेत्र में लगी आग को नियंत्रित करने के कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभाएंगी।
केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि झरिया मास्टर प्लान पिछले दो वर्षों से लंबित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया है। रेड्डी ने बताया कि उन्होंने स्वयं झरिया खनन क्षेत्र का दौरा किया और वहां के निवासियों तथा जनप्रतिनिधियों से मुलाकात की है। उनका कहना है कि झरिया क्षेत्र की चुनौतियों को समझते हुए जल्द ही इस पर कैबिनेट नोट को अंतिम रूप दिया जाएगा, ताकि इसे केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल सके।
बीसीसीएल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक समीरन दत्ता ने इस योजना की प्रगति के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि झरिया मास्टर प्लान के पहले चरण में लगभग 2800 परिवारों का सफलतापूर्वक पुनर्वास किया जा चुका है। इसके तहत आग प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास के लिए 33 हजार घरों का निर्माण पहले ही पूरा हो चुका है। योजना के अगले चरण में और अधिक परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाएगा।
गौरतलब है कि झरिया क्षेत्र में लगी आग और भू-धंसान की समस्याएं वर्षों से वहां के लोगों के लिए एक बड़ा संकट रही हैं। संशोधित झरिया मास्टर प्लान को मंजूरी मिलने के बाद इन समस्याओं के समाधान में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा सकेगा।