झरिया में वर्षो से बिना लाईसेंस पटाखों की बिक्री भंडारण और निर्माण धड़ल्ले से जारी : PESO ने लिया संज्ञान : RTI में हुए खुलासे के बाद भी अबतक नहीं हुई कोई कार्रवाई

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मिरर मीडिया : धनबाद के झरिया में बगैर लाईसेंस पटाखों की बिक्री भंडारण और निर्माण बेरोकटोक जारी है। इसका खुलासा रांची के एक समाजसेवी वकार आलम द्वारा सूचना के अधिकार के तहत धनबाद जिला प्रशासन से मांगी गई जानकारी के बाद हुआ है। वकार ने बगैर बारूद लायसेंस पटाखा निर्माण, भंडारण एवं बिक्री करने वाले तमाम दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उपायुक्त से की है। साथ ही राज्य के वरीय अधिकारियों को भी प्रतिलिपि भेज कार्यवाई की मांग की है।

मांगी गई जानकारी के बाद धनबाद उपायुक्त कार्यालय ने गत 23 मई को ही पार्थी को बगैर लायसेंस पटाखा दुकानों के संचालन के सम्बंध में जानकारी दी, लेकिन जिला प्रशासन धनबाद के झरिया थाने की पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नही की है।

इस प्रकार से बरती गई लापरवाही से 31 साल पहले हुए झरिया पटाखा कांड की पुनरावृत्ति कभी भी हो सकती है। इसी पटाखा कांड में शिकायतकर्ता के परिजन मौत के गाल में समा गए थे जिसके बाद से ही शिकायतकर्ता ने ठान लिया था कि बिना लाइसेंस पटाखों की हो रहे अवैध बिक्री पर रोक लगाकर ही रहेंगे सब संबंधित अधिकारियों और पदाधिकारियों से मिन्नत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होता देख आवेदक ने आरटीआई के तहत जानकारी मांगी और पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन को भी उक्त बातों से अवगत कराया।

बता दें कि झरिया के सुभान पटाखा, जय हिन्द फायर वर्क्स खैनी पट्टी, सुभान पटाखा बोरापट्टी, सुभान पटाखा उपर कुल्ही, में बेरोकटोक पटाखे की बिक्री जारी है। जबकि जानकारी के अनुसार वर्तमान में इस नाम से 6 दुकान संचालित हो रहे है।

जब से सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी गई है तब से संचालक द्वारा सावधानी बरतते हुए धंधा को अंजाम दिया जा रहा है सभी दुकानों में स्टाफ बैठते हैं ग्राहक आने के बाद ऊपर कुलही स्थित घर में रखे स्टॉक से बिक्री की जाती है। चुकी वर्षो से ये दुकाने बिना लाइसेंस के संचालित किये जा रहें थे जिसका ख़ुलासा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मिल गया है पर अब सवाल ये उठता है कि ऐसे दुकानों को अबतक सील क्यूं नहीं किया गया।  और जब ये जानकारी दे दी गई है कि ये अवैध रूप से बिना लाइसेंस के विस्फोटक पटाखों की बिक्री भंडारण और निर्माण कर रही है तो क्यूं नहीं कार्रवाई की जा रही है। क्या झरिया में दिल दहला देने वाला पटाखा कांड की पुनरावृति का इंतजार किया जा रहा है।

विदित हो कि 25 अक्टूबर 1992 को झरिया के सिंदुरिया पट्टी में कल्लू पटाखा दुकान में महज एक चिंगारी से भीषण आग लग गई थी। दर्जनों लोगों की मौत हुई और सैकड़ो लोग घायल हुए थे। तत्कालीन बिहार सरकार ने 29 मौत की पुष्टि की थी। इस मामले में आज तक किसी शख्स के परिजन को मुआवजा नहीं मिला और झरिया के लोग जब उस घटना को याद करते हैं तो उनका शरीर आज भी सीहर जाता है।

आवेदक ने नागपुर, रांची, कोलकाता में भी पैसों के अधिकारियों को इसकी सूचना दी और अवैध रूप से विस्फोटक पदार्थों का हो रहे बिक्री पर रोक लगाने की मांग की। रांची में पेसों के अधिकारियों की सूचना के बाद पेसों ने धनबाद उपायुक्त को पत्र लिख पूरी जानकारी मांगी।

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