मिरर मीडिया संवाददाता, रांची: झारखंड में बेलगाम बालू माफियाओं पर लगाम कसने की दिशा में सरकार ने बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। लंबे समय से जारी अव्यवस्था, राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्करी की तस्वीरों के बाद अब बालू कारोबार के संचालन का पूरा स्वरूप ही बदलने जा रहा है। सरकार की मंशा स्पष्ट है—माफिया राज खत्म करना और राज्य के राजस्व में इजाफा करना।
अब जिले तय करेंगे घाटों का भाग्य, जेएसएमडीसी की भूमिका होगी खत्म
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, झारखंड राज्य खनिज विकास निगम (JSMDC) की भूमिका को अब पूरी तरह समाप्त करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। वर्तमान में राज्य के कुल 444 बालू घाटों में से मात्र 22 घाट ही संचालित हैं, जो मौजूदा व्यवस्था की विफलता को उजागर करते हैं। यही कारण है कि सरकार ने बालू नीति में व्यापक बदलाव की योजना बनाई है।
जिला स्तर पर होगी बालू घाटों की नीलामी, निजी हाथों में जाएगा संचालन
नई नियमावली के अनुसार, अब प्रत्येक जिले में बालू घाटों की नीलामी स्थानीय स्तर पर की जाएगी। इसके तहत जिला प्रशासन टेंडर जारी करेगा, और जो ठेकेदार सबसे ऊंची बोली लगाएगा, उसे घाट संचालन की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इससे दोहरे लाभ की संभावना है—एक ओर बालू तस्करी पर अंकुश लगेगा और दूसरी ओर सरकारी खजाने में राजस्व की सीधी आमद होगी।
इस नई नीति का उद्देश्य न केवल बालू के अवैध कारोबार पर लगाम लगाना है, बल्कि इसे एक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया के तहत लाना भी है। सरकार को उम्मीद है कि जिला स्तर पर नियंत्रण होने से स्थानीय प्रशासन घाटों की निगरानी बेहतर तरीके से कर सकेगा। साथ ही, बालू घाटों पर किसी एक माफिया समूह का वर्चस्व भी समाप्त हो सकेगा।
कैबिनेट बैठक में लग सकती है अंतिम मुहर
सूत्रों का कहना है कि 8 अगस्त को होने वाली कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी जा सकती है। यह फैसला झारखंड की नीतिगत दिशा को पूरी तरह से बदल सकता है, विशेषकर खनन क्षेत्र में। अगर यह प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो आने वाले महीनों में झारखंड में बालू कारोबार का चेहरा पूरी तरह बदल जाएगा।