जमशेदपुर : समाज के अंतिम पायदान में खड़े आदिम जनजातियों में अशिक्षा, जागरूकता की कमी और जानकारी के अभाव में जहां सरकारी लाभ से वंचित होने का मामला सुनने को मिलता है, वही उसी समाज से कुछ लोग शिक्षा, जागरूकता और जानकारी से सरकारी लाभ से भी लाभान्वित हो रहे हैं। इसी तरह का एक मामला चाकुलिया प्रखंड के तरंगा गांव में देखने को मिला। यहां सिर्फ जागरूकता से आदिम जनजाति के एक युवती का विवाह न केवल 18 वर्ष पूरा करने के बाद हुआ, बल्कि युवती ने कोर्ट मैरिज प्रमाण पत्र देकर कन्यादान योजना के लिया आवेदन दिया, जिसे स्वीकृति दे दिया गया है। मैट्रिक तक पढ़ी-लिखी युवती को जागरूक करने के साथ-साथ 18 साल पूरा होने पर शादी के लिए स्थानीय आंगनबाड़ी सेविका ने अहम भूमिका निभायी।

आदिम जनजाति की कन्या सरस्वती सबर, पिता-रतन सबर, माता लतिका सबर चाकुलिया प्रखण्ड के तरंगा गांव की निवासी है। सरस्वती के माता-पिता किसी तरह गांव में मजदूरी कर 8 लोगों का भरन पोषण कर पाते थे। ऐसे में पैसा के अभाव में सरस्वती मैट्रिक तक की पढ़ाई कर पाई। कई बार उसके विवाह का प्रयास किया गया। लेकिन सेविका द्वारा जा कर उन्हें समझाया गया कि 18 वर्ष पूरा होने के बाद ही विवाह करें, ताकि सरकार द्वारा चलाई जा रही महत्वपूर्ण योजना कन्यादान का लाभ उनकी पुत्री को मिल सके। पिता ने उनकी बात मानी तथा 18 वर्ष पूरा होने के बाद सरस्वती का विवाह बंगाल निवासी कमल सबर के साथ तय किया। बाल विकास परियोजना कार्यालय में आ कर सरस्वती सबर ने महिला पर्यवेक्षिका से कन्यादान से संबंधित जानकारी ली व आवेदन किया।
सरस्वती ने बाताया कि इस आर्थिक सहयोग से परिजनों पर मेरे विवाह के लिए आर्थिक दबाव नहीं पड़ा और उन्होंने खुशी-खुशी विदाई की। 10 अगस्त को प्रखण्ड कार्यालय में जिला उपायुक्त, सांसद, विधायक बहरागोड़ा की उपस्थिति में आयोजित जनता दरबार में सरस्वती सबर को मुख्यमंत्री कन्यादान योजना का सांकेतिक प्रशस्ति पत्र दिया गया। सरस्वती ने खुशी जाहिर करते हुए योजना का लाभ मिलने के लिए सभी पदाधिकारियों व सरकार का आभार जताया है।