धनबाद से एक बार फिर अवैध कोयला खनन का काला सच सामने आया है। इस बार जिले के बाघमारा थाना क्षेत्र का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है जहां जमुनिया केसरगढ़ और ब्लॉक-2 इलाके में बीती रात एक अवैध खदान में खनन के दौरान चाल धंसने से कई मजदूरों की मौत और कई के घायल होने की सूचना है। आशंका जताई जा रही है कि कई अन्य मजदूर अब भी मलबे के नीचे दबे हुए हैं। इस घटना के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है। हालांकि इस घटना की पुष्टि नहीं हुई है प्रशासन ने इसे महज अफवाह बताया है लेकिन BCCL प्रबंधन और सीआईएसएफ अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं
वही इस हृदयविदारक हादसे पर जमशेदपुर से विधायक और पूर्व मंत्री सरयू राय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने दावा किया कि इस हादसे में 9 मजदूरों की जान गई है और खनन माफिया शवों को छिपाने में लगे हैं। सरयू राय ने सीधे-सीधे एक खनन माफिया ‘चुनचुन’ का नाम लेते हुए कहा कि वह प्रभावशाली राजनीतिक संरक्षण में अवैध खनन करवा रहा था। उन्होंने इस संबंध में धनबाद के एसएसपी को सूचना भी दे दी है।

सरयू राय का ट्वीट:
“बाघमारा, धनबाद के जमुनिया नामक स्थान पर अवैध खनन की चाल धँसने से आज रात 9 मज़दूरों की मौत हो गई है। अवैध खनन माफिया मृतकों का शव निपटाने में लगे हैं। इसकी सूचना मैंने #SSP #धनबाद को दे दी है। प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार चुनचुन नामक खनन माफिया प्रभावशाली संरक्षण में अवैध खनन करा रहा था।”
लगातार हो रहे हादसे, लेकिन प्रशासन मौन

धनबाद में यह पहला मामला नहीं है। इससे कुछ दिन पहले भी निरसा और लुचीबाद में अवैध खदान में मजदूरों की जान जाने की सूचना मिली थी। लगातार हो रही ऐसी घटनाएं प्रशासनिक सुस्ती और भ्रष्टाचार को उजागर करती हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि बाघमारा और उसके आसपास के क्षेत्रों में वर्षों से अवैध खनन का धंधा बेखौफ जारी है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं।
खनन माफिया का मजबूत नेटवर्क
स्थानीय लोगों और मजदूरों के अनुसार, इस क्षेत्र में एक संगठित खनन माफिया गिरोह काम करता है, जिसे कथित रूप से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। इन माफियाओं द्वारा रात के अंधेरे में अवैध खनन कराया जाता है और हादसों के बाद शवों को छिपाने या पहचान छुपाने की कोशिश की जाती है, ताकि कानूनी कार्रवाई से बचा जा सके।
बीसीसीएल प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन पर उठ रहे सवाल
हर बार हादसे के बाद प्रशासन सक्रिय होता दिखता है, लेकिन कुछ दिन बाद फिर वही पुरानी स्थिति लौट आती है। न तो स्थायी कार्रवाई होती है, न ही दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई। इससे साफ है कि कहीं न कहीं सत्ता और सिस्टम की मिलीभगत इन माफियाओं को खुली छूट दे रही है। कोयले की सुरक्षा और चोरी पर रोक की पूरी जी मेरी बीसीसीएल प्रबंधन और सीआईएसएफ अधिकारियों की है बावजूद जिस तरह से कोयले चोरी की घटना धनबाद में देखने और सुनने को मिल रही है इस पर अधिकारियों की भूमिका पर कई सवाल खड़े होते हैं अब विधायक सरयू राय ने जिस तरह से मामले में ट्वीट किया है उसमें जांच होती है या फिर केवल खाना पूर्ति होगी यह देखना होगा
वही गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी द्वारा घटनास्थल पर जाकर मुआयना करने की बातें सामने आ रही हैं
अब सवाल उठते हैं:
क्या इन मौतों का कोई जिम्मेदार ठहराया जाएगा?
क्या खनन माफियाओं पर कार्रवाई होगी या फिर ये मामला भी पुराने हादसों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?
कब तक मजदूर अपनी जान गंवाते रहेंगे और प्रशासन सिर्फ “जांच” की बात कहकर पल्ला झाड़ता रहेगा?