हजारीबाग। झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर कठघरे में है। शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (SBMCH), हजारीबाग से गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ चिकित्सा प्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है बल्कि मानवता को भी शर्मसार किया है।
घटना बीती रात की है जब बरकट्ठा प्रखंड की एक प्रसव पीड़िता को पहले बरही अनुमंडल अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे SBMCH रेफर कर दिया गया। परिवार जब रात करीब 1:00 बजे मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचा, तो वहां न तो डॉक्टर मौजूद थे, न ही गाइनी वार्ड का दरवाजा खुला।
एक घंटे तक महिला दर्द से तड़पती रही, परिवार गाइनी ऑपरेशन थिएटर के बाहर मिन्नतें करता रहा, दरवाजा खटखटाता रहा, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आया। अस्पताल कर्मियों से मदद की गुहार लगाने पर जवाब मिला कि “बच्चा जीवित नहीं है और हीमोग्लोबिन की स्थिति गंभीर है”। अंततः थक-हारकर परिजन निजी अस्पताल ले गए, जहां सफल डिलीवरी हुई और राहत की बात यह रही कि जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित हैं।
इस घटना पर SBMCH अधीक्षक डॉ. अनुकरण पूर्ति ने कहा कि मामले की जानकारी मिलते ही तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया गया है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
वहीं हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल ने घटना को “मानवता के लिए शर्मनाक” बताते हुए कहा, “अगर डॉक्टर अस्पताल में मौजूद नहीं थे और मरीज एक घंटे तक दरवाजे पर तड़पता रहा, तो यह प्रशासनिक और नैतिक विफलता है।”
उपायुक्त शशि प्रकाश सिंह ने भी कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि 24 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट मांगी गई है और दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।