डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को असम सरकार को नोटिस जारी किया है, जिसमें बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ दाखिल की गई अवमानना याचिका पर सुनवाई की गई। अदालत ने अगले तीन सप्ताह तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। यह मामला असम के सोनापुर से संबंधित 47 निवासियों द्वारा दायर किया गया है, जिन्होंने शीर्ष अदालत में अपनी आपत्ति व्यक्त की है।
अधिकारों का उल्लंघन
जस्टिस बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए असम सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद उनके निर्माण को अवैध रूप से ध्वस्त किया गया है, और इस दौरान अधिकारियों ने कानूनी प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है। याचिका में यह भी कहा गया है कि बुलडोजर कार्रवाई मौलिक अधिकारों के तहत अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन है।
आदिवासी जमीन पर अतिक्रमण का आरोप
असम सरकार ने आदिवासी जमीन पर अवैध अतिक्रमण बताते हुए कामरूप जिले के कचुटोली पाथर गांव और अन्य स्थानों पर 47 घरों को ढहाया। हालांकि, याचिकाकर्ताओं का दावा है कि वे दशकों से असली भूमिधारकों के साथ समझौतों के तहत वहां रह रहे हैं, और उनका कब्जा वैध है।
सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश
17 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश में बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित किया था। अदालत ने स्पष्ट किया था कि बिना अदालत की अनुमति के कोई भी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि, यह आदेश फुटपाथ, रेलवे और अन्य अवैध अतिक्रमण पर लागू नहीं होगा।
यहां पढ़े अन्य खबरें–
- खबरें और भी हैं mirrormedia.co.in पर सीधे भी जाकर पढ़ सकते हैं, आप हमसे जुड़ सकते हैं Facebook, Instagram, X अपने सुझाव या खबरें हमें mirrormedia2019@gmail.com पर भेजें।