
देश: संदेशखाली मामले पर सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के संदेशखली गांव में हुई हिंसा की अदालत की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर विचार करने से भी इनकार कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि इस मामले पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने खुद संज्ञान लिया। ऐसे में हम क्यों दखल दें? जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने पहले ही मामले को समझ लिया है और संज्ञान ले लिया है।
बेंच ने जनहित याचिका याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने की छूट देते हुए कहा, “दोहरे मंच नहीं होने चाहिए।” चूंकि बेंच मामले पर विचार करने के लिए अनिच्छुक थी।
साथ ही याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मणिपुर से इस मामले की तुलना न करें। हाईकोर्ट के पास भी एसआईटी गठित करने का अधिकार है। ऐसे में हाईकोर्ट को ही तय करने दीजिए। हाईकोर्ट के पास अधिकार है कि वो एसआईटी का गठन करे।
बता दें कि पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली गांव में एक स्थानीय टीएमसी नेता और उनके समर्थकों द्वारा महिलाओं के यौन शोषण के आरोपों को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहा है। कई महिलाओं ने स्थानीय तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता शाजहां शेख और उनके समर्थकों पर जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।शेख तब से फरार है, जब कथित तौर पर उससे जुड़ी एक भीड़ ने प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों पर हमला किया था, जो भ्रष्टाचार के एक मामले में उसके परिसर की तलाशी लेने गए थे।