डिजिटल डेस्क/कोलकाता : विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) प्रक्रिया के तहत तैयार होने वाली नई मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए फर्जी प्रमाणपत्र जमा करने पर अब कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। चुनाव आयोग ने इस संबंध में आगाह करते हुए कहा है कि ऐसा करने पर सात साल तक की जेल हो सकती है, साथ ही भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है। बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि फर्जी मतदाता परिचय पत्र, आधार कार्ड, जन्म या विवाह प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज जमा करने पर कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। भारतीय न्याय संहिता की धारा 377 के तहत अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है।
इस बीच, चुनाव आयोग ने बंगाल में बहुमंजिला आवासीय परिसरों में मतदान केंद्र खोलने के अपने पिछले फैसले को वापस ले लिया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस निर्णय पर कड़ी आपत्ति जताई थी। सीईओ कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि बहुमंजिला इमारतों के निवासियों ने इस प्रस्ताव में कोई विशेष रुचि नहीं दिखाई। राज्य के शहरी विकास मंत्री और कोलकाता के मेयर फिरहाद हकीम ने कहा कि आवासीय परिसरों के लोग अपनी प्राइवेसी से समझौता नहीं करना चाहते और अपने निवास के पास किसी तरह की अशांति नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने इसे नकार दिया।
बंगाल में मतदाता सूची के एसआइआर के तहत गणना प्रपत्रों के वितरण की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। सीईओ कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, मंगलवार तक 99.99 प्रतिशत गणना प्रपत्र बांटे जा चुके हैं और 99.75 प्रतिशत प्रपत्रों को डिजिटाइज्ड भी किया जा चुका है। 27 अक्टूबर 2025 तक बंगाल में मतदाताओं की कुल संख्या 7,66,37,529 है। आयोग ने बूथ स्तरीय अधिकारियों को गणना प्रपत्रों की जांच में हुई भूलवश की गई गलतियों को आगामी 11 दिसंबर तक सुधारने का निर्देश दिया है। उन्हें यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि मतदाता सूची में कोई भी मृत, अवैध या स्थानांतरित व्यक्ति का नाम शामिल न हो। आयोग वृद्धाश्रमों में रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों की सहायता के लिए वहां भी विशेष एसआइआर शिविर लगाएगा। इससे पहले, सीईओ कार्यालय की पहल पर मंगलवार को महानगर के सोनागाछी इलाके में यौनकर्मियों के लिए भी विशेष एसआइआर शिविर आयोजित किया गया था।

