डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया:शारदीय नवरात्रि का महत्त्व भारतीय संस्कृति में अत्यंत विशिष्ट माना गया है। नवरात्र के नौ दिनों में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस वर्ष नवरात्रि का अष्टमी और नवमी व्रत एक ही दिन 11 अक्टूबर यानी शुक्रवार को किया जा रहा है, जो धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है।
महाष्टमी और महानवमी की पूजा एक ही दिन
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा का विधान है, जबकि नवें दिन देवी सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है। इस वर्ष पंचांग की गणना के अनुसार, सप्तमी तिथि 10 अक्टूबर को दोपहर 12:29 बजे समाप्त हो जाएगी और इसके बाद अष्टमी तिथि का आरंभ होगा। मान्यता है कि अष्टमी तिथि के शुभ मुहूर्त में मां महागौरी की पूजा करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस बार सप्तमी और अष्टमी तिथि एक ही दिन पड़ने के कारण शास्त्रों के अनुसार अष्टमी का व्रत अगले दिन, 11 अक्टूबर को रखा जाएगा।
सप्तमी की पूजा और विशेष विधान
सप्तमी तिथि मां कालरात्रि को समर्पित होती है। इस दिन निशिता काल में मां काली की विशेष पूजा का विधान है। इस वर्ष सप्तमी 09 अक्टूबर को पड़ रही है। इसके अतिरिक्त, 10 अक्टूबर को नवपत्रिका पूजा और संधि पूजा का आयोजन किया जाएगा, जो नवरात्रि का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।
शुभ मुहूर्त और व्रत का महत्व
अष्टमी तिथि 11 अक्टूबर को दोपहर 12:06 बजे तक रहेगी, इसके बाद नवमी तिथि का आरंभ होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाष्टमी और महानवमी का व्रत एक साथ करने से देवी के दोनों स्वरूपों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे साधक के जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता का आगमन होता है।
इस शुभ अवसर पर मां के भक्त पूरे श्रद्धा भाव से उनकी पूजा-अर्चना करेंगे, जिससे उन्हें सभी संकटों से मुक्ति और जीवन में नई ऊर्जा प्राप्त होगी।
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