उन्नाव रेप केस में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को कुलदीप सिंह सेंगर के मामले में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला पलट दिया है। कुलदीप सेंगर को फिलहाल जेल में ही रहना होगा।

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पीठ ने आज केंद्रीय जांच ब्यूरो की उस याचिका पर सुनवाई की। इसमें दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा कुलदीप सिंह सेंगर की उम्रकैद की सजा निलंबित करने के फैसले को चुनौती दी गई थी। चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जे.के. माहेश्वरी, जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की तीन सदस्यीय पीठ इस मामले की सुनवाई की। चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रारंभिक रूप से, हम इस आदेश पर रोक लगाने के पक्ष में हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के संचालन पर रोक
चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें यह प्रतीत होता है कि इस मामले में कई महत्वपूर्ण लीगल सवाल उठे हैं। हम इस तथ्य से अवगत हैं कि जब किसी दोषी या विचाराधीन कैदी को रिहा कर दिया गया हो, तो इस न्यायालय द्वारा संबंधित व्यक्ति को सुने बिना ऐसे आदेशों पर रोक नहीं लगाई जाती। लेकिन इस मामले के विशिष्ट तथ्यों को देखते हुए कि जहां दोषी एक अलग अपराध में भी सजा काट रहा है हम दिल्ली हाईकोर्ट के 23 दिसंबर 2025 के आदेश के संचालन पर रोक लगाते हैं।
कोर्ट ने 1 हफ्ते में मांगा जवाब
याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। इसके लिए पूर्व विधायक को 1 हफ्ते का समय दिया गया है। कुलदीप सेंगर को अगले 7 दिन में जवाब दाखिल करना होगा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने दी थी जमानत
उन्नाव रेप केस में दोषी पाए जाने के बाद पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। मगर, दिल्ली हाईकोर्ट ने कुलदीप सेंगर की सजा खारिज करते हुए जमानत को मंजूरी दे दी थी, जिसके बाद उन्नाव रेप केस की पीड़िता ने दिल्ली में प्रदर्शन शुरू कर दिया था।
2017 का है मामला
यह मामला साल 2017 का है, जब उत्तर प्रदेश के तत्कालीन विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर उन्नाव जिले की एक नाबालिग लड़की ने रेप का आरोप लगाया था। साल 2019 में दिल्ली के ट्रायल कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर को बलात्कार का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत और गवाहों को प्रभावित करने के मामलों में भी सेंगर को दोषी ठहराया गया था। 23 दिसंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने सेंगर की अपील लंबित रहने तक सजा निलंबित कर दी और सशर्त जमानत भी दे दी थी, जिसमें काटी गई सजा की अवधि (सात साल पांच महीने) और कानूनी आधारों का हवाला दिया गया था।

