जमशेदपुर। एलबीएसएम के हिन्दी विभाग की ओर से ‘हिन्दी की अंतर्राष्ट्रीय स्थिति पर वेबिनार का आयोजन किया गया, जिसके मुख्य वक्ता युवा कवि सिद्धार्थ वल्लभ थे। वेबिनार की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. अशोक कुमार झा अविचल ने की। मुख्य वक्ता सिद्धार्थ वल्लभ ने कहा कि उन्नसवीं शताब्दी में छापाखाना के आने के बाद हिन्दी का तेजी से विकास हुआ। संस्कृत, पाली, प्राकृत, अपभ्रंश और दक्खिनी हिन्दी-उर्दू का मिलाजुला रूप ही वह हिन्दी है, जोे राष्ट्रीय एकता का पर्याय बनी और आज जो आम प्रचलन में है। वल्लभ ने राजनैतिक, धार्मिक और राजनैतिक आंदोलनों की हिन्दी भाषा के विकास की भूमिका को भी रेखांकित किया। विनोबा भावे को उद्धृत करते हुए उन्होंने इस पर जोर दिया कि हिन्दुस्तान की समस्त भाषाएं देवनागरी लिपि में लिखी जानी चाहिए और हिंदी को मजबूत करना चाहिए। प्रो. विनय गुप्ता ने कहा कि हिन्दी की वैश्विक स्थिति कमजोर नहीं है। हिन्दी और उर्दू की संरचनात्मक स्थिति में कोई फर्क नहीं है। संचालक सुधीर सुमन ने नौवें विश्व हिन्दी सम्मेलन के सम्मेलन के संकल्प को दुहराते हुए हिन्दी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अधिक शक्तिशाली बनाने पर जोर दिया। संचालन हिन्दी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुधीर कुमार ने किया। वेबिनार में कॉलेज के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. पुरुषोत्तम प्रसाद, राजनीति विज्ञान के अध्यक्ष प्रो. विनय गुप्ता, इतिहास के असिस्टेंट प्रोफेसर मोहन साहू, अमर त्रिपाठी, विनीता परमार, कवि रासबिहारी पांडेय समेत लगभग सौ विद्यार्थी जुड़े हुए थे।