डिजिटल डेस्क। मिरर मीडिया: माघ अमावस्या को मौन साधना करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। इसी कारण इसे मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। इस साल यह विशेष तिथि बुधवार, 29 जनवरी 2025 को पड़ेगी। सनातन धर्म में इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य और मौन रहकर आत्मशुद्धि का विशेष महत्व है। मौन रहकर ध्यान लगाने से मानसिक शांति प्राप्त होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
गंगा स्नान का महत्व
गंगा को सनातन धर्म में सर्वाधिक पवित्र नदी माना गया है। मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा का जल अमृत तुल्य हो जाता है। इस दिन गंगा स्नान से साधक को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जिन श्रद्धालुओं के लिए गंगा स्नान संभव नहीं है, वे घर पर ही गंगाजल से स्नान कर पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
श्रवण और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का महत्व
इस वर्ष मौनी अमावस्या के दिन श्रवण और उत्तराषाढा नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। इन दोनों नक्षत्रों में गंगा स्नान करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। शुभ मुहूर्त का समय इस प्रकार रहेगा:
उत्तराषाढा नक्षत्र: 30 जनवरी 2025 को सुबह 08:20 तक – श्रवण नक्षत्र: 29 जनवरी 2025 को सुबह 08:20 से 30 जनवरी को सुबह 07:15 तक
घर पर पुण्य स्नान का लाभ कैसे उठाएं?
अगर गंगा स्नान के लिए यात्रा संभव न हो, तो घर पर इन विधियों का पालन कर पुण्य प्राप्त करें:
1. प्रातः काल स्नान के जल में गंगाजल मिलाएं।
2. स्नान के दौरान भगवान विष्णु और गंगा मैया का स्मरण करें।
3. स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर मौन साधना करें।
4. जरूरतमंदों को दान दें और गरीबों को भोजन कराएं।
मौनी अमावस्या का आध्यात्मिक फल
इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों से साधक को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। यह आत्मशुद्धि और मोक्ष प्राप्ति का दिन है। इसलिए गंगा स्नान, मौन व्रत और दान-पुण्य का पालन अवश्य करें।