आज, 5 मई 2025, सोमवार को, पूरे भारत में सीता नवमी का पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में जाना जाता है, जिन्हें ‘जानकी नवमी’ या ‘सीता जयंती’ के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को माता सीता का प्राकट्य हुआ था।
🕉️ शुभ मुहूर्त और योग
नवमी तिथि प्रारंभ: 5 मई 2025 को सुबह 7:35 बजे
नवमी तिथि समाप्त: 6 मई 2025 को सुबह 8:38 बजे
मध्याह्न पूजा मुहूर्त: 10:58 AM से 1:38 PM तक
मध्याह्न क्षण: 12:18 PM
विशेष योग: इस वर्ष सीता नवमी पर दो शुभ योग बन रहे हैं—रवि योग और अमृत काल। रवि योग 5 मई को दोपहर 2:01 बजे से शुरू होकर अगले दिन सुबह 5:36 बजे तक रहेगा।
🌸 पूजा विधि
- सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
- माता सीता और भगवान राम की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- रोली, चंदन, अक्षत, फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप आदि अर्पित करें।
- माता सीता और भगवान राम की आरती करें।
- सीता नवमी व्रत कथा का पाठ करें और व्रत रखें।
- शाम को पुनः पूजा कर प्रसाद वितरण करें।
📖 पौराणिक कथा
रामायण के अनुसार, मिथिला के राजा जनक ने एक यज्ञ के दौरान भूमि जोतते समय एक स्वर्ण पात्र में एक कन्या को पाया, जिसे उन्होंने सीता नाम दिया। ‘सीता’ शब्द का अर्थ होता है ‘हल की नोक से बनी रेखा’। माता सीता का जीवन आदर्श नारीत्व, समर्पण और धैर्य का प्रतीक है।
🏛️ मिथिला में विशेष आयोजन
बिहार के सीतामढ़ी जिले के पुनौराधाम में, जहां माता सीता का प्राकट्य हुआ था, एक भव्य जानकी जन्मस्थली मंदिर के निर्माण की योजना है। इस मंदिर की आधारशिला 13 दिसंबर 2023 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा रखी गई थी। मंदिर परिसर में 251 फीट ऊंची माता सीता की प्रतिमा स्थापित की जाएगी, जो विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। इस परियोजना को महावीर मंदिर न्यास, पटना द्वारा संचालित किया जा रहा है।
सीता नवमी का पर्व नारी शक्ति, त्याग और मर्यादा का प्रतीक है। इस दिन माता सीता के आदर्शों को अपनाकर हम अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त कर सकते हैं।