संवाददाता, धनबाद: राज्य के तीसरे सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच), में लापरवाही के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। बुधवार को अस्पताल के कैथलैब में भर्ती एक मरीज को गलत रक्त चढ़ा दिया गया, वहीं दूसरी ओर एक अन्य मरीज को ऑर्थोपेडिक सपोर्ट के अभाव में ‘ईंट’ का सहारा दिया गया। इन घटनाओं ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कैथलैब में मरीज को चढ़ाया गया गलत रक्तनिरसा निवासी दुर्गा दास को हीमोग्लोबिन की कमी के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया था। डॉक्टरों ने उनके ब्लड ग्रुप को ओ पॉजिटिव बताते हुए रक्त चढ़ाने का निर्देश दिया, लेकिन अस्पताल के ब्लड बैंक द्वारा बी पॉजिटिव रक्त चढ़ा दिया गया। इस लापरवाही का खुलासा होते ही मरीज के परिजन आक्रोशित हो गए और अस्पताल प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

प्रारंभ में ब्लड बैंक कर्मियों ने गलती छिपाने की कोशिश की, लेकिन जब मरीज के विभिन्न ब्लड ग्रुप रिपोर्ट्स की तुलना की गई, तो सच्चाई सामने आ गई। जांच में पाया गया कि ब्लड बैंक कर्मचारियों की गलती से मरीज का ब्लड ग्रुप गलत दर्ज हो गया था, जिससे यह गंभीर चूक हुई।
इस मामले के सामने आने के बाद अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच गया। ब्लड बैंक प्रभारी से पूछताछ की जा रही है, और चिकित्सकों को मरीज की सघन निगरानी के निर्देश दिए गए हैं। मरीज के परिजनों ने चेतावनी दी है कि यदि इस लापरवाही से उसकी सेहत पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ा तो इसकी पूरी जिम्मेदारी अस्पताल प्रशासन की होगी।
ऑर्थोपेडिक सपोर्ट की जगह मरीज को दिया गया ईंट का सहारा
एक और लापरवाही का मामला गोमो से इलाज के लिए आए हीरामणि महतो के साथ हुआ। उन्हें पैर को सीधा रखने के लिए किसी ऑर्थोपेडिक सपोर्ट की जरूरत थी, लेकिन संसाधनों के अभाव में अस्पताल कर्मचारियों ने उनके पैर के नीचे ‘ईंट’ रख दी।

यह स्थिति अस्पताल की अव्यवस्था को उजागर करती है। मरीजों को जिस देखभाल और संसाधनों की जरूरत होती है, वह एसएनएमएमसीएच में नदारद नजर आ रही है। चिंता की बात यह भी है कि अगर यह ईंट किसी अन्य मरीज या वार्ड में गुजर रहे किसी व्यक्ति के पैर में गिर जाए, तो एक मरीज की परेशानी दूसरे को भी अस्पताल पहुंचा सकती है।
प्रशासन को सख्त कार्रवाई करने की जरूरत
ये घटनाएं एसएनएमएमसीएच की लचर व्यवस्थाओं को उजागर करती हैं। मरीज बेहतर इलाज की उम्मीद लेकर यहां आते हैं, लेकिन बदहाल चिकित्सा सुविधाओं के कारण उनकी मुश्किलें बढ़ जाती हैं। अस्पताल प्रशासन को इस तरह की लापरवाही रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।