कुपोषण की शिकार इस 5 माह की मासूम का बदला जीवन, हुई स्वस्थ, जिला को कुपोषण मुक्त बनाने के लिए किये जा रहे विशेष प्रयास

Manju
By Manju
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जमशेदपुर : घाटशिला प्रखंड के बेडाहातु आंगनबाड़ी केन्द्र, उल्दा पंचायत की सेविका पुर्णेश्वरी महतो व सहिया के सजग प्रयास से एक अतिकुपोषित नवजात शिशु 5 महीने के अंतराल में सामान्य श्रेणी के शिशुओं में आ गई है। पुर्णेश्वरी महतो बताती हैं कि दीपाली महतो की बेटी आईसी महतो का जन्म 21 मार्च 2022 को मर्सी अस्पताल, जमशेदपुर में हुआ। जन्म के दौरान बच्ची का कुल वजन 1.60 किग्रा था जो कि अति कुपोषित श्रेणी में थी। बच्ची काफी कमजोर थी। आंगनबाड़ी सेविका व सहिया के द्वारा दीपाली महतो का गृह भ्रमण कर पूरक पोषाहार कार्यक्रम योजनान्तर्गत उपलब्ध कराये गये टेक होम राशन एमएफईडीएफ खान-पान की विधि व लाभ के बारे में बताया गया। साथ ही कंगारू मदर केयर के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी। मां के दूध में पोषक तत्व व 6 माह तक स्तनपान से बच्ची के विकास व बाहरी संक्रमण से बचाव से संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। साथ ही मां को भी नियमित पौष्टिक आहार जैसे साग-सब्जी, लौह तत्व युक्त खाद्य सामग्री का सेवन करने के संबंध में सलाह दी गई। सेविका तथा सहिया द्वारा प्रत्येक दो दिनों के अन्तराल में गृह भ्रमण कर खान-पान व बच्चे के स्वास्थ्य में वृद्धि से संबंधी जानकारी ली गई जिसके बाद 5 महीने के अंतराल में मासूम आईसी महतो का वजन 5.5 किग्रा है व बच्ची सामान्य श्रेणी में आ गई है।

जिला प्रशासन द्वारा जिले में एक भी बच्चा व माताएं कुपोषित नहीं रहे, इसके लिए सजग प्रयास किए जा रहे हैं। जिला उपायुक्त ने कहा कि सितम्बर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है, जिसमें कुपोषण के विरुद्ध लोगों को जागरूक करने का वृहद प्रयास है। साथ ही नियमित अभियान चलाते हुए कुपोषित बच्चों का उपचार जिले में अवस्थित 4 कुषोपण उपचार केन्द्र एमटीसी पोटका, एमटीसी मुसाबनी, एमटीसी घाटशिला व एमटीसी टेल्को में किया जा रहा है। सभी आंगनबाडी वर्कर को गर्भवती माताओं व प्रसव के बाद शिशुओं के स्वास्थ्य के अनुश्रवण का निर्देश दिया गया है, ताकि उन्हें कुपोषण से संबंधी कोई जानकारी मिले तो तत्काल एमटीसी में भर्ती कराते हुए उपचार कराया जा सके।

उन्होने बताया कि कुपोषित बच्चों को कम से कम चार माह तक उपचार व इसके बाद चार माह तक फॉलोअप करने का निर्देश दिया गया है, हालांकि बच्चे इसके पूर्व ही स्वस्थ हो जाते हैं। एसटीसी के माध्यम से सभी आवश्यक दवाइयां, पूरक पोषाहार तथा नियमित अनुश्रवण किया जाता है। इस दौरान बच्चों का वजन, लंबाई, उंचाई, हीमोग्लोबिन की जांच कर उपचार किये जाने से जल्द स्वस्थ हो पाते हैं। उन्होने आईसी महतो के 5 महीने के अंतराल में ही कुपोषण से उबरने पर खुशी जाहिर किया तथा आंगनबाड़ी सेविका व सहिया के कार्यो की तारीफ की।

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