चुनाव आयोग ने बिहार में हुए सफल विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद अब इसे देश के 12 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में लागू करने की घोषणा की है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य है मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करना, गलत नामों को हटाना और छूटे हुए पात्र नागरिकों के नामों को शामिल करना, ताकि आगामी चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी हो सकें।
🔹 कब से कब तक चलेगा अभियान
यह विशेष पुनरीक्षण 4 नवंबर 2025 से शुरू होकर 7 फरवरी 2026 तक चलेगा।
अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी।
इससे पहले 28 अक्टूबर से 3 नवंबर तक प्रिंटिंग और प्रशिक्षण का कार्य पूरा किया गया, जिसमें बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) और निर्वाचन कर्मचारियों को मतदाता सूची सुधार की पूरी प्रक्रिया सिखाई गई।
🔹 किन राज्यों और प्रदेशों में लागू होगा
इस अभियान में शामिल राज्य हैं –
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, गोवा, छत्तीसगढ़, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल,
साथ ही पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप जैसे केंद्र शासित प्रदेश भी शामिल किए गए हैं।
इस विशाल अभियान में 5 लाख से अधिक BLOs और करीब 7.5 लाख राजनीतिक दलों से जुड़े कार्यकर्ता सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
🧾 वोटर लिस्ट में नाम जांचने का तरीका
अगर आप मतदाता हैं और जानना चाहते हैं कि आपका नाम सूची में है या नहीं, तो यह काम आप घर बैठे ऑनलाइन कर सकते हैं।
👉 वेबसाइट पर जाएं:
वहां नाम या EPIC नंबर डालें, फिर जिला और विधानसभा क्षेत्र चुनें।
अगर इंटरनेट न हो, तो आप अपने BLO या नजदीकी निर्वाचन कार्यालय से भी सूची देख सकते हैं।
📝 नाम हटने पर क्या करें
अगर किसी कारण आपका नाम लिस्ट से हट गया है, तो घबराने की ज़रूरत नहीं है।
चुनाव आयोग ने साफ किया है कि 1 अगस्त से 1 सितंबर 2025 के बीच आप दोबारा आवेदन कर सकते हैं।
🔸 ऑनलाइन तरीका
NVSP पोर्टल या Voter Helpline App खोलें।
Form 6 भरें (नया नाम जोड़ने या हटे नाम को वापस लाने के लिए)।
ज़रूरी दस्तावेज़ अपलोड करें और सबमिट करें।
आवेदन संख्या से स्टेटस ट्रैक करें।
🔸 ऑफलाइन तरीका
अपने BLO से संपर्क करें।
वह आपको Form 6 देगा। उसे भरकर जमा करें।
जांच पूरी होने के बाद आपका नाम फिर से वोटर लिस्ट में जोड़ दिया जाएगा।
🔹 आधार कार्ड को मिली मान्यता
बिहार में SIR के दौरान आधार कार्ड को पहचान पत्र के रूप में शामिल न किए जाने पर विवाद हुआ था।
मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा, जिसने आदेश दिया कि आधार को पहचान प्रमाण के रूप में मान्यता दी जाए।
अब चुनाव आयोग ने इसे दस्तावेज़ों की सूची में शामिल कर लिया है, जिससे नागरिकों को राहत मिलेगी।
🔹 नई प्रक्रिया में राहत के प्रावधान
अब उन लोगों को अतिरिक्त दस्तावेज़ नहीं देने होंगे जिनके परिवार के किसी सदस्य का नाम पहले से सूची में है।
दूसरे राज्य से स्थानांतरित मतदाताओं को भी अब रिश्तेदारों या अभिभावकों का प्रमाण-पत्र नहीं देना होगा।
इससे प्रवासी मजदूरों और नौकरीपेशा लोगों को बड़ी सुविधा मिलेगी।
🔹 क्यों है यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण
चुनाव आयोग का मानना है कि यह कदम लोकतंत्र की बुनियाद को मजबूत करेगा।
सही मतदाता सूची का मतलब है निष्पक्ष मतदान, कम विवाद और अधिक जनभागीदारी।
इस बार आयोग ने सत्यापन के लिए तीन महीनों से अधिक समय दिया है ताकि हर नाम और हर विवरण को सही तरीके से जांचा जा सके।

