डिजिटल डेस्क। जमशेदपुर: झारखंड के खेल जगत और विशेष रूप से तीरंदाजी समुदाय के लिए एक हृदय विदारक खबर सामने आई है। झारखंड तीरंदाजी संघ के वरीय उपाध्यक्ष एल मूर्ति का आकस्मिक निधन हो गया है। उनके निधन से पूरे खेल जगत में शोक की लहर दौड़ गई है, और तीरंदाजी समुदाय ने अपना एक अनमोल मार्गदर्शक खो दिया है।
खामोश हुई सीटी, खाली हुई कुर्सी
बर्मामाइंस में चल रही राज्य तीरंदाजी चैंपियनशिप का माहौल स्तब्ध कर देने वाला था। जिस कुर्सी पर बैठकर मूर्ति दा पूरी ऊर्जा और मुस्तैदी के साथ खिलाड़ियों को निर्देश देते थे, वह खाली थी। हवा में पसरा गहरा सन्नाटा और झुके हुए धनुष मानो उस ‘सारथी’ को मौन श्रद्धांजलि दे रहे थे, जिसकी मार्गदर्शन वाली सीटी की आवाज अब हमेशा के लिए खामोश हो चुकी थी।
नियति का क्रूर खेल
शनिवार तक एल मूर्ति पूरी तरह स्वस्थ और उत्साह से भरे हुए थे। वह चैंपियनशिप में तकनीकी पदाधिकारी की भूमिका निभा रहे थे। शाम को काशीडीह स्थित अपने आवास लौटने के बाद उन्हें गले में दर्द की शिकायत हुई।
हालांकि नियति को कुछ और ही मंजूर था। वह सहजता से अपनी स्कूटी से टीएमएच (टाटा मेन हॉस्पिटल) गए और डॉक्टर से दवा लेकर घर लौटे। दवा लेने के बाद अचानक उनकी सांसें उखड़ने लगीं। परिजन उन्हें आनन-फानन में दोबारा टीएमएच लेकर भागे, लेकिन उन्होंने रास्ते में ही अंतिम सांस ली।
44 वर्षों का अथक समर्पण
एल मूर्ति 1981 से तीरंदाजी के इस खेल को सींचने में लगे हुए थे, यानी उन्होंने लगभग 44 वर्ष इस खेल को समर्पित किए। अपने सौम्य, विनम्र और मिलनसार स्वभाव के कारण वह हर आयु वर्ग के खिलाड़ियों, कोचों और पदाधिकारियों के बीच अत्यंत लोकप्रिय थे। रविवार को चैंपियनशिप स्थल पर जब उन्हें श्रद्धांजलि दी गई, तो कई आंखे नम हो गई। किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था कि कल तक उनके बीच मौजूद एक ऊर्जावान मार्गदर्शक आज केवल स्मृतियों में शेष है। उनके परिवार में उनकी पत्नी और एक पुत्र हैं। उनका निधन झारखंड तीरंदाजी के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

